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करेति लोभ, वेरं वड्ढेति अप्परयो। 46 जे ममाइयमति जहाति से जहाति ममाइतं ।
से हु दिट्ठपहे मुणी जस्स पत्थि ममाइतं ।
47 णारति सहती वीरे, वीरे यो सहती रति ।
जम्हा अविमरणे वीरे तम्हा वीरे रण रज्जति ।।
48 जे अणण्णदंसी स अणण्णारामे, जे अणण्णारामे से अणण्णदंसी ।
49 उड्ढं अहं तिरियं दिसासु, से सव्वतो
सवपरिण्याचारी लिप्पति छरणपदेण वीरे।
50 से मेधावी जे अणुग्घातणस्स खेत्तण्णे जे य बंधपमोक्ख
मण्णसी।
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[ आचारांग