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सूत्र-संख्या (v) वर्तमान का देखने वाला बनना : (vi) जीवन-विकास का माप-दण्ड :
66 (दूसरी और
तीसरी पंक्ति) 5. जागृत मनुष्य की अवस्था (i) जागृति के मार्ग पर चलते हुए लोक-प्रशंसा 73
के आकर्षण से दूर रहना : (ii) जागृति के मार्ग पर चलने से चित्त का 68
सुन्दर होना : (iii) जागृत व्यक्ति के लक्षण :
(क) उपदेश सुनने की आवश्यकता नहीं : 38 (ख) कोई नाम नहीं होता : (ग) 'वीर' संज्ञा को प्राप्त होना: 20, 54 (घ) लोक प्रचलित आचरण का होना 55
आवश्यक नहीं : (च) ममाज व व्यक्ति के लिए प्रकाश स्तंभ : 50, 47 () विकल्पों से परे हो जाना : 50 (ज) 'सरल' होना :
54, 75 (क) आश्रित होना :
100 (प) द्वन्द्वातीत होना और समता में स्थित 56,25,31, होना :
92 (फ) अनुभव अपरिवर्तनशील :
47,64 (क) पूर्ण जागरूक व अप्रमादी:
49,51,84 (भ) अनुपम प्ररामना में रहना : (त) इन्द्रियों के विषयों का द्रष्टा : 52 (थ) लोक कल्याण में संलग्न :
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नगनिया ]
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