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(अप्पाण) 3/1 णो (भ) =नहीं लभति (लभ) व 3/1 सक समाधि
(समाधि) 2/1 92 वितिगिछ समावन्नेणं-सन्देह के कारण, गहण किए हुए । अप्पाणेणं=
मन के द्वारा मन में। णो नहीं। लभति प्राप्त नहीं कर पाता
है। समाधि-समाधि को। 93 से (अ)= वाक्य की शोभा उद्वितस्स (उठित) भूक 6/1 अनि ठितस्स
(ठित) भूक 6/1 अनि गति (गति) 2/1 समणुपासह (समणुपास) विधि 2/2 सक एत्य (अ)=यहां वि (अ)= विल्कुल वालभावे (िवाल)-(भाव) 7/1] अप्पाणं (अप्पारण) 2/1 णो (अ)=मत
उवदंसेज्जा (उवदंस) विधि 2/1 सक 93 से वाक्य की शोभा । उद्वितस्स-प्रगति किए हुए की। ठितस्स =
दृढता पूर्वक लगे हुए की। गति=अवस्था को। समणुपासह = देखो । एत्य = यहाँ । वि= विल्कुल । वालभावे = मूच्छित, अवस्था में ।
अप्पाणं = अपने को । णो=मत । उवदंसेज्जा=दिखलायो। 94 तुमं (तुम्ह) 1/1 स सि (अस) व 2/1 अक णाम (अ)=निस्सन्देह तं
(त) 1/1 सवि चेव (अ)=ही जं (ज) 2/1 स हंतव्वं (हंतव्व) विधिक 1/1 अनि ति (अ)= देख ! मण्णसि (मण्ण) व 2/1 सक अज्जावेतन्वं (अज्जाव) विधिक 1/1 परितावेतव्वं (परिताव) विधिक 1/1 परिघेतव्वं (परिघेतव्व) विधिक 1/1 अनि उद्दवेतन्वं (उद्दव) विधिक 1/1
__ अंजू (अंजु) 1/1 वि चेयं (अ) ही पडिवुद्धजीवी [(पडिवुद्ध) वि-(जीवि) 1/1 वि] तम्हा (अ)=इसलिए ण (अ)= न हंता (हंतु) 1/1 वि (अ)=ही घातए (धात) व 3/1 सक अणुसंवेयणमप्पारणेणं [(अणुसंवेयणं)+(अप्पाणेणं)] अणुसंवेयणं (अणुसंवेयण) 1/1. अप्पाणेणं (अप्पाण) 3/1 जं (ज) 2/1 स हंतव्वं (हंतव्वं) विधिक 1/1 अनि
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