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72 सव्वे ( सव्व) 1/2 वि पाणा (पारण) 1/2 भूता (भूत) 1/2 जीवा (जीव ) 1/2 सत्ता (सत्त) 1 / 2 ण ( अ ) = नहीं हंतव्वा (हंतव्वा) विधि कृ 1 / 2 अनि अज्जावेतव्वा (अज्जाव ) विधि कृ 1/2 परिपेत्तव्वा (परिघेत्तव्वा ) विधि कृ 1/2 अनि परितावेयव्वा ( परिताव) विधि कृ 1/2 उद्दवेयव्वा (उद्दव) विधि कृ 1 / 2
एस ( एत) 1 / 1 सवि धम्मे (धम्म) 1 / 1 सुद्धे (सुद्ध) 1 / 1 वि णितिए ( रिणति ) 1 / 1 वि सासए (सास) 1 / 1 वि समेच्च ( समेच्च) संकृ अनि लोयं (लोय) 2/1 खेतेोह (खेतण्ण) 3 / 2 पवेदिते (पवेदित) मूकृ 1 / 1 अनि
72 सव्वे = कोई भी । पाणा = प्राणी । भूता = जन्तु । जीवा = जीव । सत्ता = प्रारणवान् । ण = नहीं । हंतव्वा = मारा जाना चाहिए । अज्जावेतव्वा = शासित किया जाना चाहिए । परिघेत्तव्वा = गुलाम बनाया जाना चाहिए | परितावेयव्वा = सताया जाना चाहिए । उद्दवेयव्वा : प्रशान्त किया जाना चाहिए । एस = यह । धम्मे = धर्म सुद्धे = शुद्ध । णितिय = नित्य | सासए = शाश्वत । समेच्च = जानकर । समूह को । खेतेोहि = कुशल द्वारा । पवेदिते = कथित |
=
।
लोयं = जीव
73 णो (ग्र ) = न लोगस्सेसरगं [ (लोगस्स ) + (एसणं ) ] लोगस्स े (लोग) 6 / 1 एसणं (एसणा) 2 / 1 चरे (चर) विधि 3 / 1 सक
73 णो = न | लोगस्सेसरगं [ (लोगस्स ) + एसणं ) ] इच्छा को । चरे = करे |
लोक के—लोक के द्वारा,
74 णाऽणागमो [ (रणा ) + (श्ररणागमो ) ] णा ( अ ) = नहीं. श्ररणागमो (अरणागम) 1/1 मच्चुमुहस्स' [ ( मच्चु ) - (मुह ) 6 / 1] अस्थि (अ) है. इच्छापणीता
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1. कभी कभी सप्तमी के स्थान पर पष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है । ( हेम प्राकृत व्याकरण : 3-134 )
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