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वि भवंति (भव) व 3/2 अक से (त) 1/1 सवि आतवं' (प्रातवन्त→ आतवन्तो पातवं) 1/1 वि णाणवं' (णाणवन्त+णाणवन्तो→णाणवं) 1/1 वि वेयवं (वेयवन्त--वेयवन्तो-वेयव) 1/1 वि धम्मवं (धम्मवन्त-धम्मवन्तो-धम्मवं) 1/1 वि बंभवं (बंभवन्त→वंभवन्तोवंभव) 1/1 वि
52 जस्सिमे [(जस्स)+(इमे)] = जिसके-जिसके द्वारा; ये । सदा शब्द ।
य= और । गंधा=गंध । रसा= रस । फासा=स्पर्श । अभिसमण्णागता= अच्छी तरह जाने गए । भवंति = होते हैं। से = वह । आतवं =आत्मवान् णाणवं =ज्ञानवान् । वेयवं वेदवान् । धम्मवं = धर्मवान् । बंभवं = ब्रह्मवान् ।
53 पासिय (पास) संकृ आतुरे (प्रातुर) 2/2 वि पाणे (पाण) 2/2
अप्पमत्तो (अपमत्त) 1/1 वि परिव्वए (परिव्वअ) विधि 2/1 सक मंता (मा) वकृ 1/2 एयं (एय) 2/1 सवि मतिमं (मतिमन्त→मतिमन्तोमतिमं) 8/1 वि पास (पास) विधि 2/1 सक आरंभज (आरंमज) 1/1 वि दुक्खमिणं [(दुक्खं)+ (इणं)] दुक्खं (दुक्ख) 1/1. इणं (इम) 1/1 सवि ति (अ)-इस प्रकार गच्चा (णच्चा ) संकृ अनि मायी (मायि) 1/1 वि पमायी (पमायि) 1/1 वि पुणरेति (पुणरेति) व 3/1 सक अनि गम्भ (गन्भ) 2/1
1. विकल्प से 'त' का लोप तथा 'न्' का अनुस्वार होने से उपर्युक्त रूप
बने । (अभिनव प्राकृत व्याकरण : पृष्ठ 427) 2. 'मा' का एक अर्थ 'चीखना' भी होता है ।
3. 'गमन' अर्थ में द्वितीया का प्रयोग होता है । चयनिका ]
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