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आचार्यश्री की शिष्य परम्परा का संक्षिप्त वर्णन चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री १०८ शान्तिसागर जी महाराज द्वारा दीक्षितमुनिगण-सर्वश्री १०८ वीरसागर जी महाराज, नेमिसागर जी महाराज, वर्द्ध मानसागर जी
महाराज, देवसागर जी महाराज, पायसागर जी महाराज, चन्द्रसागर जी महाराज, नमिसागर जी महाराज, पद्मसागर जी महाराज, आदिसागर जी महाराज, श्रुतसागर जी महाराज, कुन्थुसागर जी महाराज, सुधर्मसागर जी महाराज, नेमिसागर जी (पूत्तरकर), धर्मसागर जी महाराज, अनन्तकीर्ति जी महाराज, पार्श्वकोति जो महा
राज, चन्द्रसागर जी महाराज, (पुत्तरकर), समतभद्र जी महाराज । पूज्य आचार्य श्री १०८ वीरसागर जी द्वारा दीक्षितमुनिगण-सर्वश्री १०८ शिवसागर जी, आदिसागर जी, धर्मसागर जी, सुमतिसागर जी, तसागर
जी, सन्मतिसागर जी, पद्मसागर जो, जयसागर जो। आर्यिकाये-सर्वश्री १०५ वीरमती जी, सुमतिमती जी, विमलमती जी, इन्दुमती जी, पार्श्वमती जी
सिद्धमती जी, वासुमती जी, ज्ञानमतो जी, सुपार्श्वमती जी। छल्लिकाये सर्वश्री १०५ चन्द्रमती जी, जिनमती जी, पद्मावती जी, अनन्तमती जी, गुणमती जी। छुल्लक-सर्वधी १०५ सिद्ध सागर जी। पूज्य आचार्य श्री १०८ पायसागर जी महाराज द्वारा दीक्षितमुनिगण-सर्वश्री १०८ जयसागर जी, कुलभूषण जी, देशभूषण जी।
आर्यिका-श्री १०५ चन्द्रमती जी। छुल्लिकाये-सर्वश्री १०५ विमलमती जी, अजितमती जी, जिनमती जी, राजमती जी, विद्यामती
जी, अनन्तमती जी, पांवमती जी, सुमतिमती जी। छ ल्लक-सर्वश्री मल्लिसागर जी, विमलसागर जी, सुमतिसागरजी, सिद्धसागर जो। पूज्य आचार्य कल्प श्री १०८ चन्द्रसागर जी महाराज द्वारा दीक्षितमुनिगण-सर्वश्री १०८ निर्मलसागर जी, हेमसागर जी। आर्यिकायें सर्वश्री १०५ पार्श्वमती जी, कीर्तिमती जी। छल्लिकायें-सर्वश्री १०५ इन्दुमती जी, बोधमती जी, मानस्तम्भामती जी।
छुल्लक-सर्वश्री १०५ भद्रसागर जी, बोधसागर जी, गुप्तिसागर जी, जयसागर जी । पूज्य आचार्य श्री १०८ शिवसागर जी महाराज द्वारा दीक्षितमुनिगण-सर्वश्री १०८ अजितसागर जो, सुपार्श्वमागर जी, भव्यसागर जी, ऋषभसागर जी
सुबुद्धिसागर जी, यतीन्द्र सागर जी, श्रेयांस सागर जी। आपिकायें-सर्वश्री १०५ जिनमती जी, राजुलमती जी, पद्मावती जी, बद्धिमती जी, विशुद्धमती जी, सुथीलमती नी, धन्यमती जी, कनकमती जी, श्रेयांसमती जी. अरहमती जी।
-संकलनक/-आयिका सुपार्श्वमती [५२ ]