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________________ संसारी प्राणी मोह निद्रा के कारण प्रमाद रूपी पिशाच के आधीन है। से है ? ॥जैन-सिद्धान्त ।। (जीव और कषाय सम्वन्धो संक्षिप्त प्रश्नोत्तर) (१) जीव द्रव्य किसे कहते है ? जिसमें चेतना गुण पाया जाये उसको जीव द्रव्य कहते है। (२) एक जीव कितना बड़ा है ? एक जीव प्रदेश की अपेक्षा लोकाकाश के बरा बर है, परन्तु संकोच विस्तार के कारण अपने शरीर के प्रमाण है। (३) लोकाकाश के बराबर कौन मोक्ष जाने से पहिले समुद्घात करने वाला सा जीव है ? जीव लोकाकाश के बराबर है। मूल शरीर को छोड़े विना जीव के प्रदेशों के बाहर निकलने को समुद्घात कहते हैं। (४) जीव के अनुजीवी गुण कोन । चेतना, सम्यक्त्व, चारित्र, सुख, वीर्य, भव्यत्व, अभव्यत्व, जोवत्व, वैभाविक, कर्तृत्व, भोक्तृत्व वगैरह अनंत गुण है। (५) जीव के प्रति जीवी गुण कौन अव्यावाध, अवगाह, अगुरु लघु, सूक्ष्मत्व, नास्तित्व इत्यादि। (६) जीव के कितने भेद है ? दो है-संसारी और मुक्त । कर्म सहित जीव को संसारी जीव कहते है। कर्म रहित जीव को मुक्त जीव कहते हैं। (७) कषाय किसे कहते है ? क्रोध, मान, माया, लोभ रूप आत्मा के विभाव परिणामों को कषाय कहते हैं। (८) कषाय के कितने भेद है ? सोलह। अनंतानुबन्धी क्रोध, मान, माया, लोभ । अप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ । प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ । संज्वलन क्रोध, मान, माया, लोभ । (E) नो कषाय के कितने भेद है ? नव-हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंसक वेद। [३६]
SR No.010765
Book TitleChandrasagar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuparshvamati Mataji, Jinendra Prakash Jain
PublisherMishrimal Bakliwal
Publication Year
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size13 MB
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