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पत्र ८४३] विविध पत्र आदि संग्रह-३३वाँ वर्ष
७६३ जिनके उपदेशसे वैसी दशाके अंश प्रगट हुए हों, उनकी अपनी निजकी दशामें वे गुण कैसे उत्कृष्ट रहने चाहिये, उसका विचार करना सुगम है; और जिनका उपदेश एकांत नयात्मक हो, उससे वैसी एक भी दशा प्राप्त होनी संभव नहीं । सत्पुरुषकी वाणी सर्व नयात्मक रहती है ।
२. दूसरे प्रश्नोंका उत्तरः(१) प्रश्नः-क्या जिन-आज्ञा-आराधक स्वाध्याय-ध्यानसे मोक्ष है या और किसी तरह !
उत्तरः-तथारूप प्रत्यक्ष सद्गुरुके योगमें अथवा किसी पूर्वके दृढ़ आराधनसे जब जिनाज्ञा यथार्थ समझमें आती है, उसकी यथार्थ प्रतीति होती है, और उसकी यथार्थ आराधना होती है, तो मोक्ष होती है, इसमें संदेह नहीं।
(२) प्रश्नः-ज्ञान-प्रज्ञासे सर्व वस्तुओंको जानकर, जो प्रत्याख्यान-प्रज्ञासे उनका पञ्चक्खाण करता है, उसे पंडित कहा है।
उत्तरः-वह यथार्थ है । जिस ज्ञानसे परभावके मोहका उपशम अथवा क्षय न हुआ हो, उस ज्ञानको अज्ञान ही कहना चाहिये; अर्थात् ज्ञानका लक्षण परभावके प्रति उदासीन होना ही है।
(३ ) प्रश्नः-जो एकांतज्ञान मानता है, उसे मिथ्यात्वी कहा है। उत्तरः-वह यथार्थ है। (४) प्रश्न:-जो एकांतक्रिया मानता है, उसे मिथ्यात्वी कहा है। उत्तरः-वह यथार्थ है।
(५) प्रश्नः-मोक्ष जानेके चार कारण कहे हैं । तो क्या उन चारमेंसे किसी एक कारणको छोड़कर मोक्ष जाते हैं, अथवा चारोंके संयोगसे मोक्ष जाते हैं !
उत्तरः-ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप ये मोक्षके चार कारण कहे हैं, उनके परस्पर अविरोधभावसे प्राप्त होनेपर ही मोक्ष होती है।
(६) प्रश्नः-समकित अध्यात्मकी शैली किस तरह है !
उत्तरः-यथार्थ समझमें आनेपर, परभावसे आत्यंतिक निवृत्ति करना यह अध्यात्ममार्ग है। जितनी जितनी निवृत्ति होती है, उतने उतने ही सम्यक् अंश होते हैं।
(७) प्रश्नः-पुद्गलसे रातो रहे-इत्यादिका क्या अर्थ है ! उत्तर.-पुद्गलमें आसक्ति होना मिथ्यात्वभाव है। (८) प्रश्नः- अंतरात्मा परमात्माका ध्यान करे ' इत्यादिका क्या अर्थ है ! उत्तरः-अंतरात्मरूपसे जो परमात्मस्वरूपका ध्यान करता है, वह परमात्मा हो जाता है । (९) प्रश्नः-हालमें कौनसा ध्यान रहता है ! इत्यादि । उत्तरः-सद्गुरुके वचनको बारम्बार विचार कर, अनुप्रेक्षण कर, परभावसे आत्माको असंग करना।
(१०) प्रश्नः-समकित नाम रखा कर, विषय आदिकी आकांक्षा और पुद्गलभावके सेवन करनेमें कोई बाधा नहीं, और हमें बंध नहीं है-ऐसा जो कहता है, क्या वह यथार्थ कहता है !
उत्तरः-बानीके मार्गकी दृष्टिसे देखनेसे तो वह मात्र मिथ्या ही कथन करता है। क्योंक पुद्गल