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श्री शांतिनाथ चरित्र. (ए) तरी सर्वे राजानने जोवा लागी. सर्वे राजानने जोया पी त्रिपृष्टनी पुत्री योतिप्रनाये अर्ककीर्तिना पुत्र अमिततेज कुमारना कंठमां वरमाला पहेरावी बने अर्ककीर्तिनी पुत्री सुताराये त्रिपृष्टना पुत्र विजयना कंठमां वरमाला पहेवी. ते अवसरे विद्याधरो, राजा अने बीजा माणसोहर्ष पामता उतां “सारं री! सारं वरी!!” एम म्होटा शब्द करवा लाग्या.पली श्रिपृष्टे अने अर्ककीर्तिये गीजा सर्व राजानने सत्कार करी रजा आपीने पोतपोतानी पुत्रीनो विवाह कस्यो. पी अर्ककीर्ति ज्योतिप्रन्ना (पोताना पुत्र अमिततेजनी वहु) ने साये तर अने पोतानी पुत्री सुताराने त्यां त्रिपृष्टने घेर मूकी पोताना नगर प्रत्ये प्राव्यो. केटलाक दिवस पठी वैराग्यवंत थयेला तेणे मुनि पासे चारित्र लीधुं.
हवे त्रिपृष्ट वासुदेव मृत्यु पाम्या पगी कोई वखते श्री श्रेयांसनायना शेष्य सुवर्ण कुंन नामना मुनि परिवार सहित पोतनपुरे आव्या. मुनिने प्राव्या जागी त्रिपृष्टनो ना अचल (बलदेव) तेमने वंदना करवा गयो. यां तेणेप्राचार्यने नमस्कार करी योग्य स्थानके बेसी मोहनिशने नाश करनारी धर्मदेशना सान्नली. पठी अवसरे तेणे मुनिने पूब्यु के, “हे नगवन् ! विवमा प्रख्यात अने गुणोए करीने म्होटो एवो म्हारो न्हानो नाश त्रिपृष्ट वासुदेव कई गति पाम्यो ?" मुनिये कडं. “हे राजन् ! पंचेंशियनो वध करवामां प्रीतिवालो अने महा आरंन करवामां सावधान एवो ते क्रूर त्हारो न्हानो नाइ त्रिपृष्ट वासुदेव मृत्यु पामीने सातमी नरके गयो दे.” मुनिनां आवां वचन सांजली स्नेहथी मोद पामेलो अचल विलाप करवा लाग्यो के, “विश्वमा वीर एवा हे धैर्यधारी नाइ ! त्हारी आशी गति थइ !!! गुरुए कडं. “हे राजन् ! तुं शोक न कर. पूर्वना जिनेश्वरोए कडं, ते सानल. ए त्हारो ना आ नरतकेत्रने विषे डेल्लो तीर्थंकर थशे.” मुनिनां आवां वचन सांनली अचले (बलदेवे) विजयने राज्यासन नपर बेसारी अने विजयनाने युवराज पछी आपी पोते तेज सुगुरु पासे दीक्षा लीधी.
___ पगे एक दिवस सन्नामां बेठेला विजयराजानी पासे झारपाले आवीने ' विनंती करी के, “हे प्रनो! आपना मंदिरना बारणा पासे आपने मलवानी श्वा करतो एवो को निमित्तियो नन्नो डे, ते अहिं आवे के पागे जाय ?" राजाए तेने आववानी रजा आपी एटसे निमित्तियो सन्नामां आवी राजाने