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________________ ( ३६५) ऋषिमंमलत्ति-पूर्वार्ध. ज संख्यावाली स्त्रीयोनी साधे विलास करता हता. आ अवसरने विषे श्री. नेमिनाथ प्रनु ते नगरीना नद्यानने विषे समवसस्या. जितशत्रु राजा परिवार सहित तेमने वंदन करवा गयो. तिलकयशादि उ पुत्रो पण श्रीजिनेश्वरना आगमनने सांजली बांधवोनी साथे हर्षित श्रया उतां पोतपोतानी म्होटी संपत्तिथी नद्यानने विषे समवरणमां गया. त्यां शुरू नाववाला तेन पवित्र विधिथी जिनेश्वरने प्रणाम करीने प्रन्नुना सन्मुख दृष्टि राखी योग्य आसने बेग, प्रनुए पर्षदामां अमृत समान वाणीवमे धर्मोपदेश आप्यो. पनी लोको धर्मने अंगीकार करी पोतपोताने घरे गया. तिलकयशादि उ कुमारो पण जिनेश्वरनी देशनाथी वैराग्यने पाम्या उता प्रन्नुने नमस्कार करी चारित्र लेवानी बुझ्यिी पोताने घेर गया. पी पोतानो संकल्प पार पामवामां तत्पर एवा ते उए पुत्रोए विषयसुख, लक्ष्मी, स्त्री अने प्रेमादि सर्वने अति कष्टकारी जाणीने महा आग्रहश्री मातापिताने प्रबोध पमामीअने पोताना पगनां रजनी पेठे कोटि ब्यने पण क्रीमामात्रमा त्यजी द श्री नेमिनाथ प्रन्नु पासे नावथी दीक्षा लीधी. वली तेनुए तेज दिवसे प्रन्नु पासे एवो घोर अन्निग्रह लीधो के, "अमारे जीवित पर्यंत अखंमितरीते उघ्नो तप करवो.” पछी नपशम रसथी पूर्ण हृदयवाला ते उ मुनियो अनुक्रमे वार पूर्वनो अभ्यास करी निरंतर श्री नेमिनाय प्रन्नु साने विहार करवा लाग्या. को वखते कोटि देवतान जेमनां चरणकमलने वंदना करी रह्या ठे एवा श्री नेमिनाथ जिनेश्वर तिलकयशादि उ मुनियोनी साथे विहार करता करता श्री गिरनार पर्वतना म्होटा नद्यानमां समवसस्या, वनपालनां मुखथा श्री नेमिनाथनां आगमनने सांजली वलन्नइ सहित कृष्ण आनंदथी त्यां समवसरणमां श्राव्या. कृष्ण जिनेश्वरनां मुखथी संसारना नयने नाश करनारी देशना सांजलीने धर्ममां अधिक असावंत श्रया उतां फरी पोतानी नगरी हा. रका प्रत्ये गया. पठी साना पारणे तिलकयशादि उ मुनियो, वे पोरता पूर्ण श्रया पठी पमिलेहण करेला वस्त्र पात्रने लइ हाथ जोमी अने श्री नमिनायने नमस्कार करीने कहेवा लाग्या. “हे प्रनो ! अमे बवे जगा एकता याने चारका नगरीमा गोचरी माटे जाए वीए.” पठी “तमारे सा. . बधानपणाश्री जq." एवां प्रनुनां वचनमंत्रने अंगीकार करी तेन विधिपूर्वक दशा प्रत्ये गया. पठी दण करेला वस्त्र पात्र प्रनो ! अमे बबार सा
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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