SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 283
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री बलज बलदेव चरित्र. ( ए) .(नियाणानो) अनुग्रह करयो नहि त्यारे स्वन्नावीक गंन्नीरगुणे करीने मनोहर एवा रामे कृष्णने कडं. “हे जनार्दन ! तुं मोहने लीधे वृया प्रयत्न शामाटे करे ? जरा विचार तो खरो, के जगत्मां क्यारे पण जिनराजनी वाणी शुं फोगट थाय खरी?" दैपायने का. “ हे कृष्णबलदेव ! में क्रोधयी हा. रकापुरोने नाश पमामवानु नियागुं करयुं . वधारे शुं कहुं, पण हुं तमारा बन्नेजणाना विना बीजा कोश्ने गेमी देनार नथी." पठी बलन्नइ सहित कृष्णे झारका नगरीमा जश्ने तुरत पोताना सेवको पासे पट्टह वगमाव्यो के, “हे नगरवासी जनो ! क्रोधातुर श्रयेला पायन ऋषिये हवणां धारकानो प्रलय करवानू कडु ने, माटे तमे सौ निरंतर प. रमेष्टी मंत्रना ध्यानने विषे एक चित्तवाला पान अने घरने विषे अथवा नद्या नने विषेत्रणे काल जिनराजनुं पूजन करो. वली पुष्कर एवा वह विगेरे तप करवामां अने नाना प्रकारना नियम धारवामां नद्यमवंत थइ व्यसन, वैर, विलास, निज्ञ अने विकथा विगेरे दुर्गुणोने त्यजी द्यो. तेमज बालथी मामीने वृक्ष्पर्यंत सर्वे नगरवासी जनो आदरथी श्रेष्ट एवा जिनराजना धर्मनी सेवा करो के, जेना अतुल्य एवा पुण्य प्रन्नावथी ए दैपायन म्हारी नगरीनो नाश करवा समर्थ थाय नहि.” कृष्णनी आवी आझाथी सर्वे लोको, ते दिवसभी प्रारंजीने जिनेश्नी पूजा तथा परमेष्टी मंत्रनुं ध्यान ए विगेरे धर्म कार्य करवा लाग्या. हवे श्री नेमिनाथ प्रन्नु पृथ्वी उपर विहार करता करता फरी रैवताचल पर्वत नपर आव्या. कृष्ण विगेरे यादवो पण पोताना परिवार सहित वर्ष पामता उता तेमने वंदना करवा गया. ते वखते नगवाने संध्याना वादलाना रंग समान, हाथीना कान समान, दनना अग्र नाग नपर रहेला जलना वि. 5 समान, जलना कल्लोल समान अने इंना धनुष्य समान लक्ष्मीनु, यौवननु अने राज्य- अस्थिरपणुं दर्शावि धर्मदेशना आपी. प्रनुनी धर्मोपदेशना सांनलीने संसारमां निवास करवाशी अने विलासथी खिन्न श्रयेला पद्युम्न, शांव, निषध, ननट अने नारण विगेरे यादवना कुमारोए कृष्ण बलन्ननी आज्ञा लश्ने प्रस्तुनी पासे दीक्षा लीधी. रुक्मिणीये पण पोताना पति श्री कृ. ष्णने का. “हे प्रनो ! मने व्रत लेवानी आज्ञा आपो के, जेश्रीकरीने हे पण इवणां श्री नेमिनाथ प्रन्नु पाले मोक्षने माटे चारित्र अंगीकार करूं." कृष्यो
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy