SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तावना. श्रा चालता समयमां श्री तीर्थंकर, केवली अथवा तो तेवा ज्ञानी पुरुषोनो विरह होवाने लीधे तेमज अवसर्पिणी कालना महात्म्यने लीधे दिवसे दिवसे वृक्षवस्था पामता एवा धर्मने आधाररूप पूर्वनां आचार्योए बनावेला पुस्तको अने सुसाधुन ले. तेमां सुसाधुनने पण पुस्तकोनो मुख्य आधार होवाश्री महात्मानए रचेलां पुस्तकोज खरी रीते धर्मना आधाररूप ने. पु. स्तकोमां पण विधिवादानुयोग, कथानुयोग विगेरे बहु नेदो बे.तेमां विधिवादानुयोग विगेरे साधु श्रावकादिकनी दिवस क्रियाविधि विगेरे सूचवे ने, परंतु कानुयोग तो महात्माननां तेवां तेवां नत्तम आचरणादिकने कहेवाना मीषथी संसारमां लीपा रहेला मनने संसारथी नग करावे , एटलुंज नहि पण क्यारेक तो मनने एवं वैराग्यवासीत करी प्रापे ले के, पनी तेने को व. खत संसार नपर प्रीति नत्पन्न प्रती नश्री. जैनधर्ममां कथानुयोगनां बहु पुस्तको ठे, तो पण श्री विजयगणीना शिष्य शुनवाईनगणीये रचेलां कथानुयोगनां बहु पुस्तको उ रसथी नरपुर होवाश्री चित्तने बहु चमत्कार उपजावे . तेमां पण ते मुनीश्वरे रचेलुं आ श्री ऋषिममंल तो अनहद आनंद आपेले. कारण के, तेमां तीर्थंकरोनां, चक्रवर्तीयोनां, वासुदेवनां बलदेवनां, अने महा मुनियोनां विचित्र चरित्रो आवेलां.महा मुनिये आ पुस्तकना बेनाग पामया 'के.तेमां पहेलो नाग दमदंत महा मुनिनी कथा सुधी , अने पांमव चरित्र श्री आरंनी वीजो नाग कस्यो . पहेलो नाग टुंको अने बीजो नाग बहु. म्होटो होवाथी तेमज पांमवानां अनुत चरित्रने वांचवानी होसीला : बंधुनने बहु नत्कंग होवाथी पांमवोनुं चरित्र पण अमे आ पहेला नागमा ज दाखल करयुंठे के, जेथी पूर्वाई अने नतराई ए बन्ने पुस्तको सरखा कदना , गाय. श्रा पुस्तव नी अंदर सघलां नविनज चरित्रो आवेलां , परंतु आदिना गर्नु चरित्र जेम वीजा केटलांक पुस्तकोनी अंदर आरंन्ने आवी गयेवं ने तेम आ स्तिकनी यात्रा की --- " अ त चरित्र) - तेम ते. जीवानंद वै .
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy