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________________ (१३६) ऋषिमंमलवृत्ति-पूर्वार्ध. ते सर्वेने निरंतर निरसनी पेठे मानवा लाग्यो. पगी को वखते तापसोनां आश्रम प्रत्ये गयेला श्री महापद्म चक्रवर्तीने जन्मेजय राजाए पातानी पु. त्री मदनावली तत्काल परणावी. तेथी ते तेनी स्त्रीरत्न इ. पठी महापद्म चक्रवर्तीये दस्तिनापुरमा प्रावी स्नेह सहित माता पिताना चरणने विषे प्रणाम कस्यो एटले पुत्रनी प्रावी विस्मय करनारी चक्रवर्तीपणानी संपत्ति जोश मा. ता पितादि नगरवासी जनो तेना वखाण करवा लाग्या. आ वखते श्री मुनिसुव्रत स्वामीना शिष्य श्री सुव्रत सूरि हस्तिनापु रमां आव्या एटले पझोत्तर राजा त्यां जश तेमनुं वंदन करी धर्मोपदेश श्रवण करवा वेगे. गुरुए तत्काल संसारनो नाश करनारी सरस अमृत समान दे शना आरंनी. राजा पद्मोतर ते धर्मदेशनाने सांजली परम वैराग्यवासी थयो तो गुरुने कहेवा लाग्यो के, “ हुं म्हारा राज्यने विषे पुत्रने स्थापन करी चारित्र अंगीकार करीश.” गुरुए “दे नूप ! धारेला कार्यमां विलंब न क. रो." एम कर्वा एटले राजा तत्काल नगरमा श्रावी प्रधानोने कहेवा लाग्यो के, " तमे विविध प्रकारना महोत्सवपूर्वक म्हारा म्होटा पुत्र विष्णुकुमार ने राज्याभिषेक करो." पठी विष्णुकुमारे नूपतिने कडं के, “ हे तात! म्हारे राज्यर्नु कांइ प्रयोजन नथी, कारण राज्यथी तो नरकनी प्राप्ति अने जव नव प्रत्ये निरंतर ब्रमण करईं पके . वली हे तात! फक्त आरंजमां मधुर प. . रंतु परिणामे अत्यंत कमवा एवा विषफल समान नोगर्नु म्हारे कांश पस प्रयोजन नथी. हुं तो आपनी साज नवनोच्छेद करवा माटे चारित्र ग्रहण करीश." पठी पद्मोतर राजाए महापद्मने बोलावीने कां के, “हे पुत्रोत्तम ! तुं म्हारा संतोषने माटे राज्यनो स्वीकार कर.” सुविनीत एवा महापद्मे पिताने कडं. "आपने पदे विष्णुकुमारने स्थापो; हुं तेमनी निरंतर पूर्ण प्रेग्ने सेवा करीश." राजाए का. सुपुत्र ! ए राज्यना नारने अंगीकार करतो नथी.” पठी महापझे पिताने हर्ष करवा माटे तत्काल राज्यने स्वीकारयु अने विष्णुकुमारे वैराग्यश्री पद्मोत्तर नूपतिनी साये श्री सुव्रत गुरुनी पासे महोत्सव पूर्वक दीक्षा लीधी. आ महापद्म पण जरतक्षेत्रने विषे प्रसिइएवो नवमो चक्रवर्ती भयो. श्राटला कालसुधी तेनी वन्ने मातानना रथ तेवीज स्थितिमां ग्हा दता, पती चक्रवर्ती महापने पोतानी माताना संतोषने माटे जिनेश्वः
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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