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- करमीर ]
- दे और अपनी राह पर चलावे, यही हमारे अंतः करण का आशीर्वाद है। . .. . जिन ढूढा तिन पाइयों गहरे पानी पैठ ।
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कश्मीर - [राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द के "भूगोल हस्तामलक" से ]: .
. (हम भूमिका में लिख चुके हैं कि राजा शिवप्रसाद जी विशुद्ध हिंदी और मिश्रित भाषा दोनों शैलियों के सुलेखक थे। "राजा भोज का सपना" उनका विशुद्ध हिन्दी का नमूना है; और यह 'कश्मीर" सम्बन्धी लेख उनको .. मिश्रित शैली का उमम उदाहरण है। इसी तरह की हिन्दी भाषा को अब कुछ - खोग "हिन्दुस्तानी" कहकर फिर से लिखने लग गये हैं । "इतिहास अपने को __- दोहराता है" यह सच जान पड़ता है। परन्तु राजा माहब की मी अनोखी ' रचना-शैली अब दुर्लभ है । इस विषय में स्वर्गीय उपाध्याय पं० बदरीनारायण । ' .. बी चौधरी का कथन हमको यहाँ पर याद, पाता है । तृतीय हिन्दी-साहित्य- .. सम्मेलन के अध्यक्ष पद से दिये हुए भाषाण में उपाध्याय जी कहते हैं :
. . "अतएव उसके दूसरे (पं० लल्लूलाल जी के बाद) सुलेखक राजा शिवप्रसाद जी को ही उसका (हिन्दी गद्य का) परमाचार्य अथवा आदि सुलेखक वा ग्रंथकार कहना चाहिये । क्योकि जैपी अनोखी और पुष्ट भाषा उन्होंने लिखी आज तक फिर काई न लिख पाया । जिस काट छाँट का कैसा " यह बैना गये,वह उनकी बहुत बड़ी योग्यता का साक्षी है । ठेठ हिन्दी की सजावट,
सुगम संस्कृत और पारसी आदि शब्दों की मिलावट से जैसी सुथरी, सुन्दर और
चुस्त इबारत की धारा उनकी लिखावट मे प्राई फिर किसी भी लेखनी से न . निकल सकी।"
___ राजा साहब की विचित्र वर्णनशैली और दोनों प्रकार की भाषाशैली ' दिखनाने के लिए ही हमने उनके दो लेख यहाँ पर दिये हैं।)
__यह इलाका महाराज गुलाबसिंह की औलाद के कब्जे में है । रावी ओर सिन्धु नदी के बीच प्रायः सारा कोहिस्तान इसी इलाके में गिनना चाहिये.
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