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करतार कोप करिसौ कना, वळे साध कसिस विसन ? काळीगी देत राजस करै, क दोयाड लडसौ किसन १३७॥ किसन साथि सुर कोड कोड़ राजा के राणा। कोड सेख कापड़ी, कोडि मुहम्मद मुल्लारणा। मूसा कोडि मरह, पीर पेकबर प्रघळ । कोडि रीछ कपि कोडि, दईव ताहरा निमो दळ । सुर जेठ कोडि गिरवर समद, इद्र कोडि रुद्र कोडि अहि। लेखता अत लाभ नही, काइमि दळ अगसार कहि ॥१३८।। काइमि कळक रिस कम्ह, साथ वलिभद्र वभीषण । भरथ साथि भीषम, साथि सुग्रीव सत्रघण। हरि साथै हणमत, वहत जोधार महाबल । सात सरग हिज साथि त्रिविधि ससार तळातळ ।। नवनिधि नवैइ ग्रह नाथ नव, जोगी अति गोरख जिसा । पछिमि सा प्रभु खडिस पवग, दळ चलिसै पूरब दिसा ।।१३।। पछिमि तणी पतिसाह सेन मेळ्यिा सप्रारणा । परमेसर परठिसे, पूरब सामहा पियारणा ॥ सान वास सूवास, फल अहि वेल तणे फळ । पीपळ तरण पहप, सुजळ जलनिध तरणो जळ । हाथरणी तणे पय होयसी, धरि सिणगार सु धारस । निकलक तरणे ऊपरि निपट, इमिया लूण उतारस ॥१४०॥ इमिया लूण उतारि, ईय निकळक रै ऊपरि। सत घरम सतोष, किसन ऊपरा चमर करि । प्रो अवतरियौ अलख, किसन रे काने कुडळ ॥ कलिंग सोस करतार, अनत चढियो अतळीवळि । ब्रहम कीच सरिस ध्रवस विसन, ठावा राखस ठेलसै । पळचर अनेक भ्रख प्रामस, खेत उजेपी लेखसै ।।१४१॥ किसन उजेणी कलिंग, आम सामहा पाहुडिया। नारद हसियौ निपट, जवन नै निकळंक जुडिया।