________________
[ ५७ ]
हणमंति किया हमल, सहल दारणव संघारे । कंघी नाखि असोक, पछ हरि चलरिण पधारे। मधसूदन मछरियो, पाज बांधै दधि ऊपरि । साथि रीछ कपि साथि, किसन आयो पारभ करि। लाछिवर सहल भेळी लका,पळचर खेचर पोखीया। तेत्रीस कोडि सुर तारीया, मारि देत ग्रह मोखीया ॥५॥ असुर मारि इंदजीत मेघ महि रावण मारे । निसचर नीचा नाखि, सत्र इ दतणा सवारे । रावण कु भकरण, मार कीधा मळ-माटी । दीयो वभीषण दान, खरी ते कीरति खाटी। सीता सहित कपि साथि सहि वैकु ठनाथ बधाइया । चउदमै बरस वे चक्रधर, आप अजोध्या आइया ॥६६॥ आप निमो अवतार आज ऊधरी अजोध्या । जिगि कीधा जगदीश जीपि लवणसुर जोधा । च्यारि वीर चत्रभुत्र, लाछिवर जिसी लखमरण । भरथ आप भगवत, समर परमेस सत्रघरण । संखासुर गया सुर सारिखाँ, दान महा उत्तम दीया । करतार इसी पीरदान कहि कई देत तीरथ कीया ॥१७॥ निमो राम बलिराम भले सकरखण भाई । निमो सेस सारीख, हाथि प्रावध ग्रहीया हळ । वडा देत ग्या वहै, निमो बळभद्र महावळ । रेवती-रमण सुत रोहणी, निराळव निगरब नर । काळ घण पूत बधव किसन, मयण रूप मदमारणगर ॥९॥ मयण बाप महाराज, गदा सख पदम सवाहे । चकर झालि चत्रभुत्र, ओपि कु डळ पति आए। आठ सिधि नव निधि, सु पिरण लीधे साथै सही। साथै सात सरग, विसन आया वसदे वहि ।