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[ ४८ ] साद कर जम सरिसि महाप्रभ निवळा मारे। करै जम कूकूउवा आज कोई मुझ उवारी । जम-रा जम तूना जयो वडा धिणी तू वाह वाह । कोइ वियो जीव राखै कना महा प्रळे मा माहवा ।। १ ।। माहब - एक मरद देव कोई और न दीसै । लाख चौरासी जीव परम दाढा विचि पीसै । नीइ तुहारी नमो जुग अरण लेखे जरिया । हो दुजा देवतां किसन वेसास म करिया । आपना आप मारै अनत इसी ज्ञान महाराज रौ। माहरौ कत प्यारी मनां श्रीय सुहावै बुरी छौ ।। ५२ ॥ वुरो भळी नह विसन नाम नासति वहनामी। गुरुड सेस गिळि गियौ सेझ वि ग सूनो सामी। जिसी अगै जागती किसन ते निहिडी कीधी। भाजि दीया मुर भूयण एक लिखमी सग लीवी । इनि मरे एक तू उवरै साध न दीसे कोई संत । ताहरी देव वसदेव तरण उ मर ना तोबह अगत ।। ५३ ।। उमर ‘रा उवारणा हेक तु हुतो इ हुतौ । परिष नारि सहि पछ नाग कोई देव न ह तो। नेह ग्रेह पिण निही मोह ममता नह माया। वारिण खाणि वापार काम नह क्रोध न काया । ताहरा चरिति कासिपि तणा हेक न जारणा मुंढ हु। नाम नै ग्राम जइ आनिहीं तई आ प्रातिमि एक तु ॥५४॥ एक अखिलि तूं एक किसन तु अखिलि कहीजे । नीर खीर जद निही दान लीजें नह दीजै। जडाधार सुर जेठ निको कोइ दीह निका निसि । निका भोमि नह निहंग देस विदेस निका दिसि । नवकुळी नाग अठकुळ अनड सरव जीव नासति सिंही। उरिण दोह एक हुतो अनत नरिदि इ दि जिरिण दिन निहीं ॥५शा