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________________ कान्हा नमो अरि नमो कंस, हग्रीव नमो वाराह हंस। अवतार नमो हरि गज उधार, परमेस नमो पातिक पहार। परधान नमो पर जोति प्रम्म, वे काम नमो लग लोक ब्रह्म। मछ कोम नमो महाराज मति, उसास सास किम लियो अति । नाभि सुत नमो रिषभ नरेस, वरीयाम बाघ नरसिंघ वेस । वाह हो वाह वामरण वडाळ, दुज राम नमो दीनांदयाळ । कूटिया दैत उधरै कीर, धनुषधर नमो लखमरण सवीर। जादवा नमो ताहरा जुध, बहसांमि नमो अवतार बुध । किरण ठार्ड रहै प्रावास काह, प्रादेस तुने गरढ़ा अलाह। आदेस देव अहि नरां ईस, जगदीस जयो नगलोक सीस। चत्रभुज वाप पाउघ च्यार, साधुया तणा पातिग संघार । अई अई गुरड रा असवार, भामरणां लिया लिखमी भ्रतार। सेझ नां नमो नागेंद्र सेष, उपारणा लिया थारा अलेख । पंगरण प्रीत वसदेव पूत, समिल काहि मैं जणस्य सपूत । कमळरा नैरण कमळा-कत, सुर जेठ आप सारीख सत। निरकार नमो निरजण निनांम, ग्यानरी देह वैकुंठ ग्राम । जगदीस तरणी डर कर जम, गम लहै कवरण थारी अगम । लहै कुरण वाप ताहरी लील, नमो हो नमो अनील नील । प्रापरा चलण महिमा अथाह, पगारै कोन्ही गगा प्रवाह । विदया' भद्रा गोपिया विद२, आरती करै ऊपरा इंद। पाराधे देव चारण अलख, जुहारै तनौं किनरह जख । अठयासी सहस रिख करे पास, वखाणे सको वैकु ठवास । पाच तत महा तत रहे पास, संभार तनां प्रभु सास सास । गुण तीन दास पतिसाह गाइ, वेचिया प्रभु थारा विकाइ। राजीया केई दीवारण राक, सुर कोडि तीस मुर करै साक। प्रणमति नाग अनेक पीर, साहिवी नमो सामळ सरीर। डर कर देत तूसां दईव, जोनीयां दिय इनेक जीव । १ वंदिया, २ वाद) MAHA
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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