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चरण तूझ चाहा निमो चत्रवाहं,
अइयो ताहरा पाव उत्तिम अलाहं । भजे ताहरा नाम से साध भला,
अइयो जमराजम निरदोप अला । हुो हस रौ रूप श्री राम हु,
वडो कछ अवतार दरिया विलो। दिवे दांन रतनां तणो सरिसि देवा,
जरू दुख दै दागवा राह जेवा । महिरिवारण तू मछ माधव मुकंदु,
निमो वाहरू वेद प्रिथमादि विदु । अनंत राम हैग्रीव अवतार अंसा,
जिकै मारिया देत मध कोट जैसा। कपिल देव करतार रिखव कहीजे,
भली भांति सा सामि मन मा भजीजै । देवां ऊपरा देव तू दत्त देवा,
सही साध करिसै कोकि तूझ श्रवा। प्रभु पिथि अवतार अपार पारू,
जख किंदरे जास राखं जुहारं । परै उखिणे खिणे हरिणाख पाढा,
दईव वाह हो वाह वाराह दाढां। दाखां तुझ नां निमो नरसिंघ देह,
निमो ताहरौ कोप लिखमी सिनेहं ।। किसन तूझना साद पहिलाद कीधौ,
- दीनानाथ ते सांमही साद दीधी। घणी ग्राहनां मारिवा भलौ धायौ,
हरी तूझ अवतार वेदै हुलायो। निमो वांमरणा राम वैराट ब्रह्म,
अधिक रीजियो इदि ऊपरि अग्रंमु।