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घण तेजालू घोडलो, -तुरी करै वह तांन । हीरे जडित पिलारिणयी, दे वारट नां दान ।। २४ ॥ काइमि तू सां पीर कवि, अरज करै छ अाज । किहिकि अमोलक केसवा, मौज दियौ महाराज ॥ २५ ॥ चौरी वैठे चक्रवर, वळि सुहिद्रा री वीर । बावै ना सवळा विरिद, पुणे कवेसर पीर ॥ २६ ॥ वड़ हथ ते दीन्ही वचन, मनड़ी वारि महेस । माता दाख मेघडी, वलिरिण करौ दरवेस ॥ २७ ॥ किसौ भरोसौ काइमा, यावी वीज अनेक । ' तू के जारण त्रीकमा, हूँ जाणा छां हेक ।। २८ ।। मरण कुपारी मेघडी, भली भली भरतार । माहरो दुख सुख माहवा, हीअडौ जागण हार ॥ २६ ॥ कद करिसी दुनीयान मां, खू दालमजी खैर। चुड़लो कद पहिराड़सी, वक कुपारी वैर ॥ ३० ॥ राणी सीता रुखमणी, गोपी चोख ग्यान । निविली नां दीजै निही, मेघड़ की ना मान ॥३१॥ कीज दीजै काइमा, वाँझरिणया नां पूत । पीपळियां रै फूलड़ा, हाथिणीयां रै दूध ॥३२॥ गाइयाँ रौ तु गोविंदा, माहरोइ दाळिद मारि। औ चन्द्रमा ऊभी चव, इरिगरौ कलंक उतारि ॥३३॥ प्राखिड़िया पूछाडिस, पिंडता निहिं पिछाण। साहिब चढिसै सेतले, हुइस निगुरा हारिण ॥३४॥ नीलांशी धरती निपट, ऊगा रूख अनेक । काइम तै भेला किया, हिन्दू मुसिला हेक ॥३॥ आवौ नी आलम उरा, अलख कर एकाति । फेसि दीयो कालीग फल, भाजि दीयौ नी भ्राति ॥३६॥ - १ ठारि । २ धरवेस।