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________________ भेर (६६) - भेरी नामक वाद्य । भेळा (११, ६६) - शामिल, एक साथ । भेळिस (१०) - विजय करेगा ? भैचक (१०२) – भयकर, महान, वडा भोमि (२१) - भूमि [ ६२ ] मछिरियो ( ८२ ) - कोप किया भौ (५८, १९, ६९ ) - भय, डर, आतंक मजीरा ( १७ ) – वाद्य विशेष भागी (९४ भ्रम ( ३७ ) - सदेह खिस (७५) - खायेगा, काटेगा । भ्रतार ( ३६ ) - पति, स्वामी । भ्रम (३५) - अज्ञान भ्राति (३१) - भ्रम भ्राजा ( २ ) - सुशोभित हुए । ििग (६२) – भृगु नामक एक ऋषि जिनकी कथा पुराणो मे विस्तार पूर्वक मिलती है | म मजार (१०) - अदर, मे । मंड (३५) - रचना, मूर्ति । मंडारण (५१, १०१, ६८ ) रचना मडाणी (१२) - रची गई । मंग ( ११ ) - कहती है । मच्छ ६) -मत्स्यावतार मछ (३, २४, ३६, ३६ ) - मत्स्यावतार महकु द (६२) - मुचुकु द मछरियो ( ५७ ) - कोप किया । मँथरा (५५) - राजा दशरथ की रानी कैकयी की दासी 1 मणे (४३) – कहते हैं, भजते हैं । मति (२३, ३६, ३७ ) - बुद्धि, ज्ञान । मति सारै ( १ ) - बुद्धि के अनुसार । मती ( ६ ) - मत, नही मतौ (८२) - विचार, निश्चय । मथाण (६८ ) - मंथन मथियो ( ८० ) - मथन किया, विलो - डित किया । मयीयौ ( ५२ ) - मंथन किया, विलोडित किया । मथुरा ( ६१ ) – पुराणानुसार सात प्रमुख पुरियो मे एक पुरी जो व्रज मे 'यमुना के दक्षिण तट पर है | मदमती (१९) मदोन्मत मस्त । J मव (४५, ५२, ७६ ) - मध्घ, मघुनामक असुर । मंद (२१) - खास कर मकर (१६) - नाम है | म (१, २, ४८, ६) न, मत नही मवकीट ( ७२ ) - मधु और कैटभ J नामक दो दैत्य जो परस्पर मकराइ (४३) – मकराकृत मचीरणा (58, 25 ) - भाई थे ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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