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३ डुवा दिये। ब्रह्माणी (१)-ब्रह्मा की स्त्री, ब्रह्मा ४ नाश किये।
की शक्ति । व्याधि (८१)-ज्याध नामक असुर। | ब्रह्म (२८) - ब्रह्मा अम (८५)-ब्रह्मा
निख (९५)-वृक्ष ( यहां नल कुवर वहम (७४) ब्रह्मा
नामक दो कुवेर के पुत्रो से ब्रहमा (६६)-ब्रह्मा, विधि, विधाता। तात्पर्य है। ब्रह्म (१, ३, ७, ३४, ३७, ६७, ६८)- विद (२)-विरुद
एक मात्र नित्य चेतन सत्ता | विदि (२३, ५३)-विरुद जो ससार का कारण रूप है,
ब्रह्मा। ब्रह्म-यान (७८, ४५)–ब्रह्म का बोध
भजण (४४, ४६) नाश करने वाला,
मिटाने वाला । अदत सिद्धान्त का वोघ, तत्वज्ञान ।
भगत (१००, १०१)-भक्त ब्रह्म (६१, ७१)—ब्रह्म
भगत-बछळ (२, ३, २६, ३४}-भक्त ब्रह्मगुण (४२)-सत्+गुण
वत्सल । ब्रह्मा (१०१)-विधि, विधाता।
भगता (९६, १०२, १०३)-भक्तो ब्रह्मा (६३, १, १०, ६६, ७१, ७२,
भगति (३४, ६६)-भक्ति ५३, ६०, ६४,७६ ८२, ८८)
भगतिणि (१०१)—भक्त-सी विधि, विधाता, ब्रह्म के तीन सुगुण | भड (६६, ६८, ६१) योद्धा, भट । रूपो मे से सृष्टि की रचना करने | भडाभड (५) योद्धाश्रो मे भी योद्धा, वाला, सृष्टिकर्ता।
महाभट्ट । हिन्दू त्रिदेवो मे से एक इनकी | भडि (५५)-भट, योद्धा । उत्पत्ति के सम्बन्ध मे मनुस्मृति मे / भडे (९७)योद्धाश्रो उल्लेख है कि स्वयभू भगवान ने भणियों (६३)-कहा जल की सृष्टि करके उसमे जो | भणीज (५१)-कहे जाते हैं । वीर्य स्खलित किया था उससे एक भणे (६०, ६७)—वर्णन करता है, ज्योतिर्मय पिंड की उत्पत्ति हुई
कहते हैं, कहता है। उसीसे ब्रह्मा का प्रादुर्भाव हुआ। । भत (२१, ४३) -भांति, प्रकार ।