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[ १६ ] कलकी (५, ३०) कल्कि अवतार। | कसिस (६५)-कटिवद्ध करेगा। कलपत (३६,४७)-कल्पांत, प्रलय । कहडी (२)–कसी। कळस (२४, ३२, ३७, ९२) देवमूर्ति कहतौ (९३)—कहता रह ।
को जल चढाने का पात्र अयवा | कहर (५६, ६६,७०,७१, ७५, ८३)ऐसे पवित्र कलश का देवमूर्ति पर । भयकर । चढाया हुआ जल।
(८०)-कोप। कळह (५४, ६६, ८६)युद्ध। .. (८२)-आपत्ति । कळ्हा (१००) युद्धो।
कहा (३४, ३८)-कहता। कलार्य (८७)-पोचा।
कहि (३९)-कहकर । कलिंग (३१)-१. देश का नाम, २. / कहिक (6)-कहकर अथवा कुछ ।
दुप्टजन। कहिजे (३५, ३७, ४६, ५०)-कहा कलि (४४)-कलियुग।
जाता है, कहे जाते हैं, कहिये । कलिपंत (२, ४७)-कल्पान्त, प्रलय, कहिसी (३६)-कहेगे। नाग।
कही (८१)-कोि । कलिमाहि (४५) कलियुग मे काइ (३५, ४०, ६२, ६३, ६५, ६९)कलियाण (१०२)-कल्याण ।
क्या। कळिया (२१)-नाश किये। काइम (८६) कायम, दृढ, ईश्वर । कल्याण (३५)-उद्धार, मोक्ष। काक ना (७२)-कोई को, किसी को । कवण (३६)-कौन
| काकरा (६६)--ककड । कवियण (१००)-कविजन, काव्यकार। कागर (१३)-कगुरा। कविलास (२६)-कैलास । काधौ (९२)-कंधा। कविलास (२, ४३)-मोक्ष, कैलास । कानड (५)-श्रीकृष्ण । कविली (१६)--कपिला। कान (३४)-दूर। कवीयरा (8) कवि लोगो। कान्हइया (७५)--श्रीकृष्ण । कवेनर (११, ३८)-कवीत्त्वर, कान्हड (२७)-श्रीकृष्ण ।
महाकवि। कावड (१६)-चमार जाति के वे पुरुष कसंन (१६)--श्रीकृष्ण ।
जो रामदेव के अनन्य भक्त कनट (४६) कण्ड।
होते हैं। कमियो (७३)-बधन मे डाला। काहि (७९)-कुछ ।