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वापडै कोडि हेक पीर घोड' चडे,
वीर वह मीर के किताई वडवडे । पछिम पतिसाह खडिस कटक पाधरी,
खेचरां भूचरा तरणी मेळो खरो । खेतपाळां तणौ साथ साथै खिले,
हरि तणौ कटक काळीग ऊपरि हिल । भुलौ है भुलौ भगवान थारा भगत,
बभीपण जिसा वळिराम सरिखा वहत । मिळे दळ मोकळो कोडि अपछर मिळ,
भूत भगवान सा भूत साचा भिळे । निमो नरनाह निकळ क चडियौ नरिदि,
साथि सातइ सरग साथि सात समद । सहस कर कोडि सिव कोडि इ हि सामठा,
आज सहि किलग रै ऊपरा ऊलटा हेक हरिचद जिसा कोड़ि हरिचद हुआ,
__ दोटि सा असुर परमेसि दीन्हा दूना । मुहमदा अली मुसा मिले मोकळा,
___ डाकिणे प्रामिस मांस वाळा डळा । धू घड आज ब्रम कीच पिणि ध्रापस,
अधिकि सुख वाभरणा साधुयां आपसे । पाडवा सरिसि परमेसवर पूछिस,
__ मान गमान तोफान नां मू छिस । महा सेतान हुई सै परी माजन,
सुख कीऔ धेन रै मेघ रै साझने। दईत रे राज मा परै वरताहि दुख,
सील नै साच सत घरम रै हुये सुख । अहो दारणव किलग अलख पाया अही,
सुरज्या कही सो बात जाणे सही ।