________________
श्री विमलाचल आदीश्वर स्तवनम्
वच्छर लगि वादइ जिन जंपइ, तुम्ह झगरउ मुझभारी । आदिदेव कीने दोऊ राजी, बहु विधि जुगति दिखारी | ७० गिरवर धीर समीर ज्यु विहरत, प्रभु आए पदचारी 1 श्री श्रीयांसकुमर पडिलाभे, पूरब जा ( ति संभारी) ॥८॥रि
श्री बिमला चल आदीश्वर स्तवन
३८
श्री 'विमलाचज' सिर तिलउ, आदोसर अरिहंत । युगला घरम निवारण, भय भंजण भगवंत ॥ १ ॥ श्री० ॥ मुझ मन उलट अति घणउ, सो दिन सफलगिगेस । सामी श्री रिसहेसरू, जब नयणे निरखेस ॥ श्री० ॥२॥ जंगम तीरथ विहरता, साधु तणइ परिवार । आदि जिणंद समोसरया, पूरब निवारणु वार ॥ श्री० ॥३॥ अचिरा विजयानंदन, जग वंधव जग तात ।
इण गिरि चउमास रह्या, थिवर कहई ए बात । श्री० ॥४॥ पामइ शिवसुख सासता, गणधर श्री पुंडरीक | पुंडरगिरि तिण कारणइ, भगति करउ निरभीक || श्री० ॥५॥ नमिनइ विनमि सहोदरू, विद्याधर बलवंत ।
शत्रु जय शिखर समोसरथा, जे गिरुआ गुणवंत ॥श्री०||६|| थावच्चो मुनिवर शुक, सहस सहस परिवार । 'पंथक' वचने जाजियउ, सो सेलग अणगार || श्री० ||७|| 'पांडव' पांच महाबली, सुणि यादव निरवाण ।
से सोघा सिद्धाचलइ, सुरवर करइ वाखण ॥ श्री० ॥८॥