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श्री अषमादि तीर्थकर मात श्री ऋषभदेव बाललीला स्तवन
मन मोहन महिमानिलउ रे, जीवन प्राण आधार रे नान्हडीया। जोवत नयन थकित भए रे, सुंदर रिपभकुमार' रे ना०॥१॥ तेरी पूतम लेउ वलईया, जीवउ तेरे बहिनरु भईआ । जंपइ मरुदेवा मईआ, मेरे अंगणि रे खेलण आवि रे ना०॥ मेरउ दूध न तूं पीय रे, अमृत रस लयलीन रे ना० मेरइ मनि तू ही वसइ रे, ज्युरयणायर मीन रे ना०॥॥२॥ रोम रोम तनु हुलसइ रे, सूरति पर वलि जाउ रे ना० कबही मोपइ आईयइ रे, ह भी मात कहाऊ रे ना०॥३॥ पगि घूघरडी घमघमइ रे, ठमकि ठमकि धरइ पाउ रे ना बाँह पकरि माता कहइ रे, गोदी खेलण आउ रे ना०॥४॥ चिवकारइ चिपटी दीयइ रे, हुलरावइ उर लाय रे ना० बोलइ.बोल जु मनमनारे, द तिआ दोइ दिखाइ रे ना०॥५॥ तिलक वणावइ अपछरा रे, नयणा अजन जोइ रे ना० काजल को विदो दियइ रे, दुरजन चाख न होइ रे ना०॥६॥ सोहई चउ सिर सेहरउ रे, चंपक लाल गुलाल रे ना० सीस मुगट रतने जड़यउ रे, भाल 'तिलक सुविसाल रे ना०॥७
१ कुडल झाक झमाल