SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 318
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्द कोश २५५ पत पखै नाह ७८ नाथ पडियउ २२६ पण्डित नाहलीय १५३ नाथ १४४ पक्ति मे निगमस्य १२३ गवावेगा पडसण २१५ प्रवेश करना निद्दा ५६ निद्रा पखइ २३, १६२ बिना निम्माण ५४ निर्माण पखालिवा १९१ धोनेके लिए नियट ५४ निवृति १२६, १२९ बिना निरनिचार ५७ अतिचाररहित पग ५४ पाव निलउ १६९ निलय, घर पगले ५० पैदल निगरण १७७ गालना पच्चक्खाण ५७ प्रत्याख्यान, निहाण १२२ निधान नीड ७४ माला, घोसला त्याग नीम १३२, १९४ नियम,त्याग पटोलइ १९९ वस्त्र नीय गोय ५५ नीच गोत्र पणनाणी १८८ केवली नीलक २३५, २३८ वस्त्र विशेष । पडखइ ७६ प्रतीक्षा कर नीलज २१० निर्लज्ज १९६ प्रतीक्षा की नीवड्या १९४ समाप्त होने पर पडखु १९८ प्रतीक्षा कर नीआवि १६४ पडखो १४२,१४६ प्रतीक्षा करो नीगमस्यइ १६९ निर्गमन करेगी ५४ प्रतिवोधक नीगमी १३२ विताई पडिलाभी ७२ प्रतिलाम नीठ १२१ कठिनतासे देकर नीरती- १५७ पहिलेही २०८ प्रतिलेखना २७ अन्त मे कर नेड १२९ निकट पडिस्यह १६५ पड़ेगा नेव ७५ नल १७२ नैवेद्य • १८३ प्रचुर पढम ५४, ५५ प्रथम पचाली १६५, २०५ पूतली पण ५४ पाच पचेटे २२६ वालको का पणवीस ५५ पचीस अक खेल पणिदिम ५६ परेन्द्रिय पडख्या नेट नेवज
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy