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________________ २५४ जिनराजसूरि कृति-कुसुमांजलि दूझती दहवी दुभग ५५ दुभाग्य धावत १७७ स्तन पान दुसर ५५ दुस्वर करते दूजण १४५ दुर्जन घावी १९६ घाय २६१ दूध देती हुई धिंगडमाल १४६ जवरदस्त १४५, १८० दुख दिया धीज ७२, ८३ परीक्षा दूहन्यो १३६ कष्ट दिया धुरीन २६ धुरघर देखाडीयउ २३० दिखाया धूजण (लागी १४४ कापने लगी देस २० ५४ दशविरति देशविरति धनड १२३ पुत्र देइसवंघ ५५ देश बघ धोख १६५ स्तोक ढगला दोभागिणि १८० दुर्भागिनी नमस्कार दोहिली १२२ दुर्लभ घोटा ७१, २२६ पुत्र घण धणी घरती घवरावइ नय ववराव्यउ १५० धनस्त्रीय नजीक १९० निकट ६६३ स्वामी नफर २३८ डाकिया १९१ पृथ्वी २२९ नदी १७७ दुग्धपान नरग ५५ नरक कराती है, नाक नमणि २९ सिर नवाना पालन नाखतउ १९१ गिराता हुना पोषण करती है नाखो १३१ डालो १७८ पालन पोषण नातरज ७२ सम्बन्ध किया नाणउ १९० मत लाओ (न। २१५ भय से आणउ) १३७, १४४ नादेय ५५ अनादरणीय छिटकाना नान्हडा १४१,२०३ दच्चा,पुत्र १६६ डाका नाम कम्मसस ५४ नाम कर्म का १९४ डाकुओ का नामणउ ४८ नमन करना दल आवेगा नालइ १६९ नाल द्वारा १९१ डाका नावई १६८ न यावे प्रसका भ्रसकाई धाड घाडिसी घाडि
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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