SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 225
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ # श्री गजसुकमाल महामुनि चौपाई | ॥ ॥ EET II L नेमीसर जिनवर तरंगा, चरण कमल परणमेव । साघु साधु गुण गावत, सानिधि करि श्रुतदेवि ॥१॥ सूघउ मारग उपदिसुइ, पालई विसवा- वीस । दूसम कालइ तर मिर्लई, जड़ मेलइ जगदीश ॥२॥ हुआ अपूरव पूरवइ, चारितधर- चउसाल | गातां जिम तिम गुण हुवड़, जातां जिम, मउ साल ||३| कहइ केवली केवली, स्युन, लहइ - ए सार । साधु धरम दस विधि तहा, क्षम तराइ अधिकार ॥४॥ सोहम वचन हियइ घरी, गंजसुकमाल चरित्र । कहिवा मुझ मन अलजयउ, करिव जनम, पवित्र ॥५॥ तास प्रसंग अनीक जैस, प्रमुख चरित हितकार । चतुर चतुर xस गइ मिल, सुराउ + भरणउ मतिसार ॥६॥ . सरस बचन तेहवान छई, पिर सरस चरित्र छइ तीस. । साकर मेलवणी- पंखेड, स्यु त घरइ, मिठास ॥७ S J 1 क दाल १ राग-रामगिरी चौपई, मगध देश, न कि भूपाल एहनी भरतक्षेत्र नयरी द्वारिका । धनद आप थापी छई जिका । गढ मढ मंदिर पोल प्राकार । जोतां अलकापुरि अवतार ॥ १ ॥ नवमउ वासुदेव वसुदेव । नदन कृष्ण, करइ जग- सेव सलहीजइ जामणि देवकी । जासु भली जग माहेवकी ॥ २ ॥ कोट माहे छप्पन कुल कोडिं' । यादव बाहिर बहुत्तर कोडिं । । के * मुहसाल X विधि राग + भरणउ गुणउ : केलवणी परे पत्रे ÷जोडि
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy