________________
( १४ )
७५ -पंचविवं पाण्डित्यं-वक्तव, कवित्व, वादित्वं, आगमिकन्य, सारस्वत प्रमाणं । ७६-चतुर्विंशति विधं बादलक्षणं-उत्पत्ति, सभापति, मत्यवादि, प्रतिवादि,
पक्ष, प्रतिपक्ष, प्रमाण, प्रमेय, प्रश्न, प्रत्युत्तर, दूपण, भूपण, अर्थान्तर, उपन्यास, अनुवाद, आदेश, निर्वाह, निर्णय, निश्चय, न्यान, समता,
निग्रह, जय, अजय । ७७-घट दर्शनानि-माहेश्वर, ब्राझ्य, साख्यं, बौद्ध, जैन, चार्वाकम् । ७८-अष्टविध माहेश्वर-नैयायिक, वैशेषिक, शिवपर्म, शैव, कलामुन्य पाशुपन,
महात्र हैनिक, मुक्ति पयंत । ७६-टशविवं ब्राह्मय-लक्षण, प्रमाण, तस्कार, कर्म. वर्तन, ब्रह्मचारी, गृहस्थ,
वानप्रस्थ, यति, ब्रह्म पर्यन्त । ८०-चतुर्विध साख्य-तत्व, प्रमाण, प्रकार, प्रभेट, प्रमोदपर्यन्त, सर्वात्मपर्यन्त । ८१-सप्त विधं जैन-सर्वज्ञ वर्म, तत्वार्थ, प्रमाण, प्रतिमा, प्रभेद, सिद्धिपर्यन्त । ८२-टश विध बौद्ध-पावासिकम, पद, पारिगत, विहार, प्रमाण, मत्रांतिक,
त्रैमाविक, योगाचार, माव्यमिक, मोक्षपर्यन्त । ८३-चतुर्विध चार्वाक-तत्वार्थ, प्रमाण, प्रभेद, प्रमोद पर्यन्त । ८४-चतुर्विंशति विधं विचारकत्व-विद्या, विनोट, विज्ञान, कला, कवित्व
वक्तृत्व, गीत, वाद्य, नृत्य, देश, काल, पात्र, प्रमेय, पर्याय, जय, रस,भाव
अभिनय, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, लोकवाद, विचार पर्यन्त । ८५-टश विधं गुरुत्वं
वशे ज्ञाने पक्षे सत्वे शौर्ये दाने बले जये।
मंताने सगुणे चेति गुरुत्व दशधा मत || ८६-च चरितं-जान चरित, मान चरितं, दान चरित, वीरविलास चरितं,
धर्मारभ चरितं । ८७-पंचविध पार्थिवाना पालनं-राज्यपालनं, प्रजापालन, भूमिपालनं, धर्म
पालन, शरीर पालन । प-सप्तविध उत्तमत्त्व-वय, कुल, रूप, शील, पट, ज्ञान, प्रयोग पर्यंतचेति । ८९-नवविधाशक्ति-धर्मशक्ति, दानशक्ति, मंत्रशक्ति, ज्ञानशक्ति, अर्थशक्ति
कामशक्ति, युद्धशक्ति, व्यायामशक्ति, भोजनशक्ति । १०-सप्तविधा भुक्ति-शब्द, सर्श, रूप, रस, गंध, अभिमान, देश । ६१-अष्टविध अभिमान लक्षण-ज्ञाने, धर्म, अर्थ, कामे, बले। .
शत्रुघाते, समारभे स्थितं च ।