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( ३०१)
तंबोल तदनतर टीजई तबोल, सुरभनइ बहु मोल ॥ टोडेरा, ग्वालेरा, अजमेरा, नागर खडा, मागल, करिया, मागही, इत्यादि पान नी जाति कही ।। वाकडी सोपारी फाल, पिवल सोपारी फाल ॥ कर्पूर वासित, केसरादि सोभित ।। मृगमट गटिगल, जावत्री नइ जाइफल ।। खडचणे, मोती चूर्ण ॥ केवडा काथ, इत्यादिक तबोल धइ सहू नह हाथ ।। कास्मीरी केसर ना छाटणा कीधा, इम लाछि ना लाहा लीवा | अगर तेल सहित गध राज गहगइ, जा चीज वाधि गहमहइ ।। अछाल्या अबीर नइ गुलाल, भला तिलक कीधा भाल || हरख्या बाल नइ गोपाल , हिव सुणउ ।
- मुख अामा उली, मिहर कुली, कलमली, सिणली। अर्कतूल, पट्टकूल, बहुमूल, कपूरधूल || रत्न कबल, मारु कवल, गगाजल .. .॥ • • धूनउ जूनउ ठाई जोडी, किणही न विखोडी ॥ सिधू दोटी, महीन नइ मोटी ॥ गउडीयउ, चउडीयउ। गगोदक, सोचक, खीरोदक । दुरंगी, सुरगी। सो नार गामी, धरण गामी, थानेसरी, अधउतरी वडवरी अउधी। अमृती, बुलबुल चुस्मा बहुभती ।। कपूर वाटी, मोछण खसखासी । कोरी, बोरी, साडउ, ठेपाडउ । खासउ नइ खेस, पूरवी सुविसेस ।। नवनवी पाथडी, पचवर्ण कास्मीरी पामडी, टूकडी, चरणा नइ चूनडी॥ पलिंग पोस, सतोस, सूफ सकलात, विलाइती विख्यात || भइरु खान जाई, नीलक नइ दरीबाई ।।