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( २६२) प्रमोटक, सोधक, मोटक, गलगलता घेउर, उन्हत कसाक, तल्या गूद, दधिवर्ण दहीथरा। पडसूधीनी साकुली, दीठइ जीम थाइ अाकुली । परीसणहारी नहीं वाउली। माडी, मुरकी, जलेबी, मगद बरनारि, श्यामा, मृगमट धारि, मुख पन टलाकारि, ऐहवी जे चतुर नारि, ते नाना विध पकवान परीसइ । हिवइ मांडा आवइ-खाड माडा, मोकला माडा, गूट माडा, याचा माडा, आकासिया माडा, कपूरिया माडा। चरिमउ, गलिउ चरिमउ, साकारिउ चरिमउ पाखलि मूकिउ, अाबिल वाणी, दाखवाणी, साकर वाणी, खाडवाणी। तदनतरि सालि (१) सुगध सालि (२) सुवर्ण सालि, (३) कुयारी सालि (४) चद्रणि सालि (५) श्वेत शालि (६ रक्त शालि (७) नील शालि (८) पीत शालि (६) महाशालि (१०) शुद्ध शालि (११) कौमुदी शालि (१२) कलम शालि (१३) कुंकणी शालि (१४) तिलवासी शालि (१५) जीरा शालि (१६) कुट शालि (१७) रामभोग शालि __(१८) मरूडा शालि (१६) देवजीर शालि (२०) धूममोगर शालि (२१) केतकी शालि (२२) नीलोत्री शालि (२३) साठी चोखा . (२४) मूजी चोखा (२५) अखड चोखा।
इसी सालि नउ कूर- . अणियालउ, सुहुयालउ, सुरहउ, सुगन्ध, फरहरउ, दूबलियइ खाडियउ, सबलियइ छडिउ, हलवइ हाथइ सोहयउ, नखवती वीणिउ, फूटर सणि स्त्रीयइ वोयउ, हितुई स्त्रीयइ ओराव्यउ, चतुर स्त्रीयइ अोसाव्यु, सरस, सुकोमल, उजलउ, बि अंगुल उस्यउ कूर परीस्वउ । मडोवरा मूग तणी, त्रिछडी टालि, माधुर्य तणी पालि, वानि पीपली, परिणाम सीयली । इयी टालि परोमी। सद्य सतपित, परमामृत, मजिष्टा वर्ण, वघारइ कर्ण, सरहरी धार, बंडी वार, प्रीणीयइ जीमणहार, सौभाग्य अजेय, नासापुट पेय, साक्षात् अमृत समान । एहयउ घी परीस्यउ । पट सुधीनी पाली पोली, खाड घृत स्यु बोली। बिहु पोलीए एक कवल थाइ, फूकनी मारी फलसा लगि जाई ।