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साचउ नई कूड़ड, समुद्र नइ कमउ । लाख नह रूपउ, राम नइ रावण । राणी नइ दासि, श्राछण नई छासि । स्वर्ण नइ पीतलु, स्वर्ग नइ भूतलु ।
आदित्य नई खजूयउ, राय नइ राकु । नक्षत्र नह सशाकु, आतप नइ छाया । तेवडउ अतर स्वभाव नइ माया ॥ ८७ ॥ जै०
आंतरा वर्णक किहा मेरु, किहा सर्षप । किहा राम, किहां रावण । किहा नूपुर, किहा दामण । किहा सोह, किहा सिपाल । किहा सुवर्ण, किहा इंगाल । किहा कपूर, किहा कर्पास । किहा सामी, किहा दास । किहा द्राम, किहां रु। किहां सागर, किहा कुछ। किहा सामो, किहा सालि । किहा मुगदालि, किहा वल्लदालि । किहा सुपात्रदान, किहा मनः प्रधान ॥ छ । पु० जेवडउ अंतर द्राम नइ रुया, जेवडउ अंतर समुद्र नइ कुत्रा । जेवडउ अंतर राम रावण, जेवडा अंतर लाडू लवण । जेवडा अतर साकर खाड, जेवडा अंतर खडी खांड । जेवडा अंतर सीयाल नइ सीह, जेवडा अतर गुल खल । जेवडा अतर पर्वत स्थल, जेक्डा अतर सुवर्ण लोह । जेवडा अंतर तरुण वृद्ध, जेवडा अंतर अकिंचन समृद्ध । ओवडा अतर पडित मूर्ख, जेवडा अतर प्रसाद पीडहर । जेवड़ा अंतर पागड़ पाघ, जेवढउ अतर हरिण नई वाघ ॥ छ । किहा मेरु लक्ष योजन प्रमाण, किहा परमाणु । 'किहां क्षीर सागर, किहा लवण सागर । किहा काला गुरु किहा हीरा गुरु । किहा कल्पतरु, किहा अत्र तरु । किहा ताम्रपणी नदी प्रदेश, किहा मरु देश । किहां उच्चैःश्रवा तुरंगम सार, किहा टार । किहा मुक्ताफल, किहां शुक्तिका शकल ॥ छ । पु०
. . ( ५७) अंतर (५) जेवडो अतर मेरु अने सरसिव । जेवडो माननें अपमान। जे० लोह अनें कचन ॥ - - जे० रामनें रावण । जे० गर्दभनें ऐरावण,। जे० हाथिने ऊंट । जे० सीहनें सीयाल ।