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भावना
निम तुंग प्रासादु दण्ड कलश प्राग्भार, जिम स्त्री सोहइ कंठ कदलि हारि । जिम मस्तक सोहइ केश प्राग्भारि, जिम कमल सोहइ वारि । जिम कर्ण सोहइ स्वर्णालकारि, जिम सोहइ गुहु नारि । निम नेत्र सोहह कनल सारि, जिम विवाहि सोहइ करि, जिम सोहइ उच्छव तूरि, जिम वीडउं कपूरि। नदी जल पूरि, रात्रि चद्र मण्डलि, जिम हारु मुक्ताफलि, निम सरोवर सोहह कमनि, निम मुख सोहइ तबोलि, जिम पृथ्वी सोहह वेलाकूलि । जिम सोहह रसवती जिम सोहइ सरस्वती पचनि तिम सोहइ धर्म भावना ।। ६१ ॥ जै०
(३०) दया धर्म प्रधानता
धर्म माहि दया धर्म वीतरागि भाखिउ मुख्य नाणिवउ । जिम पर्वत्र माहि मेरु, तुरंगम माहि पंच वल्लह किसोर । हस्ति माहि ऐरावणु, दैत्य माहि रावणु । वृक्ष मांहि कल्प वृक्ष । रत्न माहि चिन्तामणि, अलंकार माहि चूडामणि । क्षीर माहि गोदीर, नीर मांहि गंगा नीर । वस्त्र माहि'चीर, पटसूत्र माहिहीर । पुष्प माहि कमल, वाद्य माहि शख यमल । काष्ठ माहि चंदन, वन माहि नदन ॥ २४ । नो० +
१ ते २ जिसो ३ हाथी ४ जिम ५ जिम ६ जिम ७ खीर ८ जिम ह जिम २० रंग माहि धवल
+ एक अन्य प्रति में “वाजिव माहि भमा, ली माँहि रंभा। शास्त्र माहि गीता, सती माँहि जिम सीता" यह पाठ और मिलता है।