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काव्य ना भेदं (१) काव्य, कवित्त, छंद, सवैयो, योतिस, चैटक, प्राकृत, तर्क, वितर्क, प्रमाण, चिंतामणी, चतुराई, रघु, किरात, माघ, मेघदूत, नेमदूत, नैषध, कुमारसम्भव चम्पूकथा, गीता, भागवत, स्मृति पुराण, वेद, विचार, वखाण, गाहा, गूढा, दूहा, प्रहेलिका, हरियाळो, कमलबन्ध, छत्रबन्ध, नागबन्ध, गरुडबन्ध राजवध तोडरबन्ध, मादळवन्ध, अहर, अलग्ग, हटापखरा, छपखरा, नटपखरा, पखाळ, पारगत श्लोक, संगीत, गीत इत्यादि काव्य (शास्त्र) ना भेट ।
विद्वान लक्षण (२)
काव्य, कवित्व छट, सवैया, ज्योतिष, वैद्यक, प्राकृत, सम्कृत, तर्क, वितर्क प्रमाण, गीता, भागवत, पुराण, वेद, विचार, इत्यादिक ना जाणणहार छ।।
(को०)
वादीन्द्र (३)
अदारहई लिपि तणइ विषय कुसल, चारि विद्या कठस्थ चेष्टानुवादु, अक्षरानुवादु, अर्धानुवादु परवाटी सउं करइ पर पटित अष्टोत्तर शत काव्य अर्यु देइ . . एक पटी द्विपदी त्रिपदी समस्या पूरइ तुरग पद पाठि कोटक पूरण करह गूढ पंद क्रिया-गुप्तक तण लेखउ न लेई त्रिवर्ग परिहारु पचवर्ग परिहार .बोलइ प्रच्छन्न लिपि तणी अलवि करह . कुर्चाल सरस्वती, प्रत्यक्ष वाचत्सति पंडित घटु, भग्न वादी मरुटु. . इसउ वादीन्द्रः ।।
(पु० प्रा०)