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महमूदी, सिरीवाफ, जरवाफ, तानबाफ, कमखाव, सूमी आदि मुसल्मानी युग के नाम भी पुरानी सूचियों में जुड़ते रहे जैसा वर्णरत्नाकर, वर्णकसमुच्चय और नभाशृगार में पाया जाता है। इनमें कई नामों की अब ठीक पहचान ज्ञात नहीं है।
इस ग्रन्थ के परिशिष्ट रूप में जो रत्नकोष और राजनीतिनिरूपण नामक दो साकृत ग्रन्य मुद्रित किये गए है उनमें भी मध्यकालीन जीवन की बहुविध सामग्री का उल्लेख पाया है। हमें प्रसन्नता है कि ग्रन्थ की उपादेयता बढाने के लिये श्री नाहटा जी ने उन्हें इस संग्रह में तकलित कर लिया है क्योंकि जितनी भी इस प्रकार की विखरी हुई सामग्री प्रकाश में लाई जा नके स्वागत के योग्य है।
इस प्रकार इस विशिष्ट वर्णन सग्रह का कुछ संक्षिप्त परिचय यहाँ दिवा गया है । तुलनात्मक अध्ययन की दृष्टि से इसकी विशेष छानबीन की आवश्यकता है । हिन्दी साहित्य में यह एक नया क्षेत्र है। प्रयत्न करने पर इन प्रकार के
और भी ग्रन्थ मिलने की संभावना है। हम श्री नाहा जी के अनुगृहीत हैं कि उन्होंने परिश्रम पूर्वक इस प्रकार के उपयोगी साहित्य की रक्षा की।
काशी विश्वविद्यालय
६-४-१६५६
वासुदेवशरण अग्रवाल