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________________ ( ८४ ) १०१ युद्ध-वर्णन (७) श्राम्हो साम्हो कटक आविया बडी, फोजइ फोज अडी। बगतर नइ जीन साल, मुभटे पहिरया तत्काल । माथइ धरया टोप, सुभट चन्या सबल कोप । पाचे हथियार बाध्या, तीर-तीर साध्या । आमल पाणी कोधा, भाजण रा झूम लीधा । घोड़े घाली पाखर, जाणे पाड़ा भाखर । आगइ कीया गज, ऊपर फरहरे वज । दमाम दीधी बाई, सभ वीर आया धाई। रण तूर वागइ, ते वलि सिंधूडइ रागइ । ठाकुर वपुकारइ, बडा-बडा बापारा बिरट सभार । छूट नालि, निपटि थोडी विचाल । वहइ गोला, लोकल्यै श्रोला । छूट कुहक बाण, कायरा रा पड़े प्राण । काबलि मीर, नखइ तीर । लागी खडा खड, वागी भड़ाभड़ि । गईभल्लरी फौज भागी, सबल लीक लागी। जे हूँतो सेनानी, ते तो धूरखी थयो कानी । जे हूतो कोटवाल, तेत्तो भागतो ततकाल । जो हूँतो फौजदार, तिणरै माथै पडी मार जे हूता चौरासीया, ए दाते त्रिणा लीया । जे हूंता खवास, तीए जीववा री मुकी श्रास । जो हूता कायर, तिणने साभरी पापणी वायर। जे चढता वाहर, तेह थया छोडी कायर । जे ढोलरै ढमकै मलता, ते गया पासे टलता । जे बाघता मोटी पाघड़ी, ते ऊभा न रह्या एका घडी। जे हूँता ग्रेक कडा, तिणरे नामइ दिया छेकडा। जो मायै धरता आकडा, तीए मुहडा कीया बाकडा । जे वणावता सारगी वाकी, तीए तर रण भूमिया को । जे बाधता विहूं पासे कटारी, तीयानइ नासता भुई पड़ी भारी।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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