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________________ ( ५४ ) निर्मल शीलवती, उज्वल गुण झलकती । लावण्य निधान, ग्रतःपुर प्रधान । निष्कलंक, कृत पाप पंक 1 सुकर्तव्य सज, सलज | विदित कार्य, पूजिताचार्य | औचित्य चतुर । पाप कर्त्तव्य कातर, सकल लोक मातर ||६० || (स० १ ) ३८ - राज्ञी - वर्णन (६) सर्वं श्रुतेउरी माहि प्रधान, सर्व गुण निधान । लावण्य कूप, श्रुति स्वरूप | भर्तार नी भक्त, धर्म नइ विषइ रक्त । सुंदर गात्र, राजा नइ प्रेम पात्र | सर्वथा दूषित, शील गुणे भूपित । कमल नेत्र, पुण्य क्षेत्र | सत्य गुणि कली, रूप गुण उर्वसी । सुवर्ण वर्गकात, दीर श्रावर देवागना सभ्राति । स्नेह कला रति, भारती सम मति । सौभाग्य हस तलाइ, कनक चूड़ि मंडित कलाई । सदा सन्ररी, कामदेव पूरी । त्रिभुवन तत्व माटी, अमृत बिंदु साटी । पुण्यती वाटी, तिरंग दाटी । रूपई रति निर्घाटी, न करई राटी । लावक, द्रावक, सावक । ऐरावण कुंभ विभ्रमाकार स्तन, त्रस्त हरणी लोचन - मदन मुद्रावतार, प्रलंवित हार । क्षीण कटि, प्रति सुघट | जेहनी मीठी वाणी, सगलै जाणी । रूपवंत माहि श्रधिकी वखाणी, घणूंन्युं इंद्राणी, ‘घीर' कहइ जे आगइ घडट ले आणइ पारणी ॥ . इति राज्ञो वर्णन || कु०
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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