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सुगध माहि जिम कपूर, अोत्सव माहि जिम तूर । वस्त्र माहि जिम चीर,..." वाजित माहि जिम भंभा, स्त्री माहि जिम रभा। शास्त्र माहि जिम गीता, सती माहि जिम सीता। देव माहि जिम इद्र, ग्रहा माहि जिम चद्र । द्वीप माहि जिम नबूद्वीप, प्रदीप माहि जिम रत्न प्रदीप । तिम सर्व छत्रीस राजकुली माहि राजा बइठो सोभै छइ ।।
३० राजा राज-वाटिका गमन राजा राज वाटिका चालिउ, गजेन्द्र चडिउ । पाखती अगरक्षक तणी ओलि, मडलीक नइ परिवारि । पताका लहलहती, अजालबि झलकतई। मेवाडवरि, छत्र तणइ आडंबरि । सीकरि तणइ झमालि, सुखासण नइ दडवडाटि। घोड़ा तणइ थाटि, पायक तणी पहटि । रथ तणइ चीत्कारि, भट्ट वदी तणइ जयजयारवि ।। ६१ ॥ ( स० १)
३१ राज्य सुख जीह नइ राज्य इसिउ सुखकुणहु सूता मुह न अघाडइ, पडिउं को न अपाड़ई । आहा कोइ न बोलइ, .... आज्ञा कोइ न लोपइ, पराई भूमि कोइ न चापई। चोर चरड का नाम को न जाणइ, आपणइ मनि शका कुणह न आणई।
सोनूं उछालते हीडियइ ॥ ६० ॥ ( स० १)
पाठान्तर-- (१) प्रलव सूटाढट, स्थूल दत मुसल
विपुल कुभस्थल चडिउ, - (प्रथम पक्ति के पूर्व, विशेप ) (२) तणड (३) फुरकती (४) अलवी (५) अड़मड (६) थाकि । (७) भाट नगारी तणइ कश्वारि । (८) राजा राम वाटिका चालिड (विशेष)
-पुण्यविजयजा को अपूर्ण प्रति से