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________________ ४८ वीरवाण जग तप तेज · जुहार, तलवाड़ त्टो तरां । उण दिन वीरम उबारिया, वंस जोयां जिण वार ॥ षिम्या करै जिम षान, बीरम तिम अंबलो वहै । जुड़सी षेत जवान मै, मांझी दिनं दोय च्यारं ॥ ४६ . छंद जात चे अपरी दलै षिमंती जिम जिम अत दारे, राव कमध जिम जिम अंत राषै । परजा भाड़ गर्ने र पजावै, ऊगै दिन फरियादां प्रावै ॥ अरि घर गंजै षाग उवांणी, समहर रो भूषो सलषांणी । लाष भिच तिल मातर लागै, एकरण जोर ऑपरां प्रागै ।। पर घर सत्रु दुछर. जिम पालै, हींद आपस देणो हालै । धूहड़ • एक समै छत्रधारी, ग्राहेड़े चढ़ियो अवतारी ।। सज पीरां दरगाह सवायो, इक फरहास निजर तद आयो । आप रहंण रिण बात उबारण, उदर ऊपनी बात अंकारण ॥ काट फरहास ढोल करीजै, सोल कोसां सेंबद सुगीजै । पूछ ताम भड़ां पूचालां, डारण आप जिसां दूठालां ।। ६. कैहै सुपहं फरहास कटावो, घरणी सगोढो ढोल घड़ावो । षित ऐ वचन सुणे अत पारा, पांण जोड़ बोले पूजारा । है फरवास षुदाय हमारे, थांन राम जिम धूहड़ थारे । सुण वचन धिक वीर सिघाल, जाणक जेठ सालली ज्वाल ॥ . बाढ फरास वीर वरदाई, आप तण सिरयात उपाई । जड़ षिण ठा, वृछ जग जाहर, मारियो एक वल मुजावर ॥ तेथी नफर करै केइ तागा, भय पड़ केइ जीव ले भागा ! करता कूक रुदरं तन कायां, दलै तणी दरगा दरसाया ।। सारां पारा वचन सुणाया, वीरमदे फरहास वडाया। * : सज देपाल कहै पग साहै, महजो दला. जोइया माहै ॥५० -
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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