________________
वीरवाण
घुरै नंगारां घाव, हुय उछब घर घर हरष । कुल दीपक जनमे कवर, गालण अदवा ग्राव ॥ ३७ ऊच नषत उजवाल, वैर सनाहां वालवा । . जद गोगादे जनमियो, कुल जोइयां पैगाल ॥ ३८ संक नहीं संधीर, दिन उगै पसरा दियै । वेढी गारो राठबड, वहै अरोडां वीर ॥ ३६ जोइयां हूंत जैवाण, वीरमदे वीजै वरस । मारु षेटा माडिया, पोह अंक वेह प्रमाण ॥ ४० सक भड चढे सिकार, सझे छलासंबुर सुवर । कमधज पीरांरी कबर, ध्रम पैरु दूधार ॥ ४१ तागा करै तिवार, हीक धीक लेता हीयो । आया फिरियादू असुर, दला तणे दरबार ॥ सक षग षान संभाय, मकै हाल छोड़ा मुलक । वीरम सूर वीहंडिया, मैहजीतारै माय ॥ सूण फरियाद सकाज, उससिया जोइया अवर । डारण चेह न दोषियो, दलिय जोम दराज ।। दूजै दिन दइवांण, दला पुत्रिचो वरदयो । लषवेरै वीरम लियो, डारण प्राधो डांण ॥ सारो कुटम स धीर, दाणे तो लाणत दला। सकुज वाही साहियो, वले अग्राजै वीर ॥ दलो चवै दइवाण, साच वाच भायां सुणो। ....... वीरम सू चूकू वचन, भो यण उगै न भांण ॥ . ४७
४२
४४
४५