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________________ वीरवाण भड़ां दरगाह हलोहल, भाल, तबैलै ऐ बाज वड़ा तेजाल । सत्रां जड़ काढण सूर सधीर, नरेसुर चाढरण बै पष नीर ॥ सधूवड़ वीरमदे सुभियांण, तणो सलषेस तपै तुड़ तांण । गाहे धर हैमर पेड़ गिरंद, नड़े भड़ अन्नड़ षाग नरीद ॥ दीय लष सांसण कुंजर दान, सुषत्रिय चित सो ईन्द्र समान । करै थह बैठोय सूर सकाज, गोढो गुर सिंह ज्युही अनाज । षेडे चांऐ वंस उपावण षार, जोइयाऐ आयाय भीच जैवार । दलै धर गूजर लोड़ दुगांम, महैवैय कीधोय प्राण मुकाम ॥ . दगो कर छोडेय साह इबार, चोरे लष कोड़ जमोर चियार । अमोलष ऊजल गात असाध, सालोतर घोड़ीऐ एक समाध ॥ इती मैहमंद तरणी लेय आथ, रोदां सिर नीसरियो अधरात । प्रथीपत सांभल तांम पुकार, मनंछिय तेड़व राज मंझार ॥ दिसा जगमाल षत्री दइवांण, मंडे मिसलत लिषे फरमाण। वेगावैग मेलिय दोय वजीर, वेगड़ह कोप कियो नरवीर ॥ दलारोय मेलैह सीस दुझाल, जाणू जद मूझ हितू जगमाल । सुणै गल हाल जगा सुभियांण, जोइलारै डेरैय जोध जवाण ॥ विचत्रिय आदर दाष नमेषं, आपे दोय तेग अने अस एक । इबै अस सुद्रब तेग अपाल, मालावत लोभ धरे जगमाल ॥ वड़ा परधानांय बूजिय वात, घड़ी देयपाल दला सिर घात । प्रमेसुर अंक तणै परमाण, मंडे धर छाड़ाय वेध मंडाण ॥ वेसासैय दाय कोल वचन्न, मारु राव ध्रोह धरै विच मन्न । जगै द्रब लोड़ण जैत जियार, ताता षग बावाय' कीध तयार ॥ आई नह आव तणे उपगार, जोंइयांय लाधोय चूक जैवार । इषै मन सोच अरोड़ अपार, हुवो लषवेरो ए कोस हजार ॥ आई तोय गत अलष अदेस, दोषी नजदीक दुरंतर देस । पुणे इम पान सवै परवार, हमैय कुरण . है. रषणहारः ।।
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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