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वीरवांण
माल सलपाणी, वीरम सलपाणी, जगमाल मालांणी, माधोसिंघ सोलंपी, वा घड़सी भाटी, वा मदु, जसु, जैतल, देपाल, ऐ च्यारू भाई लुणियांणी। जोया तथा गोगो वीरमांणी राठोड़ धीर मधु वाणी उदल हेसुदलाणी। जोयाऐ अथवा इयांरा भाई रजपूत आदमी हीज करै । सुणीयांसुं सूरमारी भुजा असमान अड़े। कायरांरा हीया पड़े। दोठां तो सापरत बांवन वीर चोसठ जोगणी ताळी दे हंस हंस पड़े । सांपरत हर अफछरां रथ पाथा षड़े। दले जोयेरो भरपीमापणो भेळप अवसांणीरी जाणतो केणहारो कठा तक कैवै। वे इदै उगमसीरो दायजो ही लाप सावासी लेवे।
इति