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________________ . ५५ १५६ __वोरवांण . . दहा चूडो :हेरु : सुचवै, पाछौ. वचन प्रीयोग। हुं मामो मारु नही, तु संग लेजा • गोग ॥ धर चित जा तु धीरीयां, गोगे कने चलाय । वाटां जोवै वीरवर, करसी जेजं न काय ।। धीरप दे मिल धीरसु, समपे विडंग सधीर । सुगन लेर चढीयो सरस, वेर लेवण वरवीर ॥ १६० १६१ । . नीसांणी तद सींचांणी त्यार कर सात सजवाया। सज. भड़ गोगै पांचसै चढ षुर चलाया । गड गड बंक गाजीया असमान गिराया। अस षडीया उबां बरै रज गैण ढकाया ।। बैडा उजड वाटते गिर झंगर छाया। जेण समे. मिळ जोगणी वळ डाक बंजाया । भाला आभ ठहकीया सिर ग्रीधां छाया । उरस तौँ मग उत्तरे इम गोगा आया ॥. काळा करहन कर भर नीर चलाया । सीहो सुगनं न संभवै करसां मन चाया ॥ सुंतां फोही सबद सुण दलजी उठ पाया। सुगन भयानक समजकै मन थाह न थाया ॥ उठे पान अंचीतका सीहरा जब लाया । अरदल दीसै आवता अत रोस अघाया । अंब. गळ सीहो उचरै है नीर पराया ॥ अळगासु अस खेड़ीया अर सीस असंगै । उठ बेदला जोईया सूतो . कन : ज़गे ॥ ऊभा , गोगा, .राठवड पित वैर ज मंगै ॥ १११ ११२
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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