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परिशिष्ट ५
शब्दार्थ
अखा = सौंपकर । अखंदा = कहा। अछरां = अप्सराएँ। अछक्की = अतृप्त । अणचिंत्या = अचानक । श्रणी = फौज । अपती = अविश्वसनीय । अवखी = दु:ख के समय । अवीह = निडर। अरक = सूर्य । अरिगंज खाग उठाय = शत्रु को नष्ट
करने वाली तलवार उठाकर । अवलिया = औलिया। अस = अश्व। असमर = तलवार । असफड़ = घोड़ों का चीरा हुआ भाग। . अहराव = सों का राजा। अहि = सर्प । यासंग-शक्ति । अारांण = युद्ध। प्रायस = अाज्ञा ।
- आमष = आमिख ।
आफू-अफीम । आपो = देवो। श्रापांणी = पुरुषार्थी। श्रादू = आरंभ से । आजोका = जिसको नक ( चैन) ही न
पड़े। इल = पृथ्वी । . . ईख = देखकर । उकती-सूझ । उजीर = वजीर । उथपै = हटाना। उपाध = बखेड़ा। उमियां = उमा। ऊधी = उलटी। उबांणी = नंगी तलवार ! उललिये गड्डे = गाड़ी उलटने पर। उरस = आकाश । ऊरिया = घोड़े से हमला करना। ऐशकियां = घोड़े। श्रोडां = तरफ । अोध = खानदान । अोलादीला = आसपास