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वीरवाण
बठा और अच्छा प्रबन्ध किया । एक बार सौदागर घोड़े लेकर उधर से निकले ।चूण्डा ने उनके सब घोड़े छीन लिये और अपने राजपूतों को बांट दिये, एक घोड़ा अपनी सवारी को रक्खा । सौदागरों ने दिल्ली जाकर पुकार मचाई, तब वहां से बादशाह ने अपने अहदी को भेजा कि घोड़े. वापस दिलवादो । उसने ताकीद की, माला पर दबाव डाला, तब उसने चूण्डा के पास दूत भेजा घोड़े मंगवाये । चूण्डा बोला कि घोड़े तो मैंने बांट दिये, केवल यह एक घोड़ा अपनी सवारी के लिये रक्खा है सो ले जायो । लाचार माला को उन घोड़ों का मोल देना पड़ा और साथ ही चूण्डा को भी अपने राज्य में से निकाल दिया । वह ईदावाटी में ईदों के पास आकर ठहरा और वहां साथी इकट्ठे करने लगा। कुछ दिनों पीछे डीडणा गांव लूट लाया । तुर्कों के पडिहारों से मंडोवर छीन ली थी और वहां के सरदार ने सब गांवों से धास की दो दो गाँडियां मंगवाने का हुक्म दिया था। ईदों को भी घास भिजवाने की ताकीद
आई तब उन्होंने चूण्डा से मंडावर लेने की सलाह की । घास की गांडियाँ भरवाई और हरेक गाड़ी में चार चार हथियार बंद राजपूतों को छिपाया । एक हांकने वाले और एक पीछे पीछे चलने वाला रक्खा । पिछले पहर को इनकी गांडियां मंडोवर के गढ़ के बाहर पहुंची । गढ़ के दरवाजे पर एक मुसलमान द्वारपाल भाला पकड़े खड़ा था । जब ये · गाड़ियां भीतर घुसने लगी तो द्वारपाल ने एक गांड़ी में बर्छा, यह देखने को डाला कि वास के नीचे कुछ और कपट तो नहीं है । बर्खे की नोक एक राजपूत के जा लगी, परन्तु उसने तुरन्त कपड़े से उसे पोंछ डाला, क्योंकि यदि उस पर लोहू का चिन्ह रह जावे. तो सारा. भेद खुल, पड़े, दर्बान ने पूछा-क्यों ठाकुरों, ! सब में ऐसा ही घास है ? कहा हां जी, और गाड़ियां डगडगाती हुई भीतर चली गई । इतने में संध्या हो गयी; अंधेरा पड़ा। जो रजपूत छिपे बैठे थे, बाहर निकले., दरवाजा बंद कर दिया और तुर्कों पर टूट पड़े। सबको काट कर चूण्डा की; दोहाई. फेर दी, मंडोवर लिया और इलाके से भी तुओं को खदेड़ खदेड़कर निकाल दिया। .
- जब रावल माला ने सुना कि चूण्डा ने मंडोवर पर अधिकार कर लिया - है तब वह भी वहाँ अाया । चूण्डा से मिलकर कहा-शाबाश राजपुत्र ! चूण्डा ने गोठ दी, काका भतीजे शामिल जीमे । उसी दिन ज्योतिषियों ने चूण्डा का पट्टाभिषेक कर दिया और वह मंडोवर. का राव कहलाने लगा। चूण्डा ने दस विवाह किये थे, जिनसे उसके १४. पुत्र उत्पन्न हुर- रणमल, सत्ता, अरड़कमल, रणधीर, सहसमल, अजमल, भीम, पूना, कान्हा, राम, लूभा, लाला सुरताण और वाया । (कहीं लाला और सुरताण के स्थान में बीना और शिवराज नाम दिये हैं।)
एक पुत्री हंसवाई हुई, जिसका विवाह चितौड़ के राणा लाखा के साथ हुआ जिससे मोकल उत्पन्न हुअा था । पांच राणियों और उनके पुत्रों के नाम निचे दिये हैं
राणी साखलों सूरमदे, बीसल की बेटी, पुत्र रणमल | तारादे गहलोताणी, सोहड़ सांक सूदावत की बेटी, पुत्र सत्ता।