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वोराण दुझल पिता धिन वेस नव गढ हां, छात नरेस । दुझल पित धिन दलो उण, देव धिनो उदेस ॥ कर पुररो लगामदे, पीठज मांड पिलांण । पुगळ जाइ पड़ाइया, एकज · पोहर उडांग ॥
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मसतक बाधो मोड़, फेर दियलेतां फजर । दाणव सुरिगया धीरदे, पनरा कोसां पोड़ ॥ ११७
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अण भंग वांह उभोय, मदु तणो दाषे मरद । अस पोड़ां धुजे धरा, काकै कुसळन कोय ।। पोहर पुल पैतीस, कुकाउ 'जोयाँ कनै । : पोहतो चड़े पड़ाहियै, हैसु कोस छवीस ॥ विधहै सुकहवात, सोह जानी मांडी सुणो । दुजड़ां मुह षामो दलो, घात रिमां अरघात ॥ रिण काको अगरेह, वहियो सुण चंवरी विचा। धीर धरके उठियो, छोडे दुलहण छेह ॥ दाषे . धोर. दुवाह, काहळियो केहर कळी । वलवंत सुसरो बोलियो, रांणकदे रिम राह ॥ जोइया रुप जैवार, पूरा ले फेरा पहन । करवा गोगेसू कळह, जंग मिळ मांडो जांव ॥
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परणे भड़ पूचाळ, सुषले निमक संसार रो। .. दाणव चढियो धीरदे, वेध करण वेधाळ ॥
धर अंवर धड़ड़ेह, हुर अछर सिव हड़हड़ । अस षडिया उबांबरे, जोइया जरद जड़े ॥
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