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________________ मनोविजय के लिए परमात्मा से प्रार्थना भाष्य मन को साधने से समस्त साधनाएं सफल दुनियां के सभी धर्म, सभी दर्शन, मम त विचारधाराएँ समस्त मनोवैज्ञानिक, सकल मत, इस बात को एक स्वर से स्वीकार करते है कि 'जिसने मन को साध लिया, उसने सब कुछ साध लिया।' इसीलिए एक विचारक ने कहा है -'मनोविजेता जगतो विजेता' जिसने मन को जीत लिया, उसने सारे जगत् को जीत लिया । क्योकि मन को एकान कर लेने पर सभी साधनाएँ आसान हो जाती है । सभी धर्मक्रियाएँ मन को वश कर लेने पर सीधी और आसान हो जाती उनमे जान आ जाती है। मन की एकाग्रता से बहुत बड़ी शक्ति प्राप्त हो जाती है । जिसने मन-रूपी भुजग को वश मे कर लिया, मानो परमात्मपद तो उसके सामने हाथ जोडे खटा है । अष्टसिद्धियां और नौ निधियाँ मन के विजेता के सामने चेरी बन कर खडी हो जाती है। व्रत, नियम, सयम, जप आदि सब मन पर विजय प्राप्त करते ही सिद्ध हो जाते है। ___ कोई कह सकता है कि मन को जीतने की क्या जरूरत है ? उच्चक्रिया या तप करते जाओ, उसी से हो सब कुछ हो जायगा, परन्तु आध्यात्मिक जगत् में ये बाते मिथ्या सिद्ध हो चुकी हैं। मनुष्य चाहे जितनी क्रिया करे, ग्रीष्मऋतु में भयकर आतापना ले, शीत-ऋतु में ठड सहन करे, काय नेश करे अथवा विविध प्रकार के तप या जप करे, मन पर काबू किये विना ये सब निष्फल हैं। चाहे जितने रजोहरण, मुखबस्त्रिका या अन्य वेष धारण कर ले, परन्तु मन को वश मे नही किया तो ये सब निरर्थक हैं। उसी की साधना, या क्रिया सफल होती है, जो मन को वश में कर लेता है । मन को जीते विना ये सब कोरी कष्टक्रियाएँ हैं । इसलिए यह वात सत्य से परिपूर्ण है कि जिसने अपने मन को नियत्रण मे कर लिया, उसने सब कुछ साध लिया । इसीलिए श्रीआनन्दवनजी कहते हैं-'एह बात नहिं खोटी'। जगत् मे मन को वश मे करने की बात सबसे बडी है कई लोग झूठमूठ दावा करते हैं कि 'मैंने अपना मन वश मे कर लिया है।' परन्तु उनकी कोरी बातो पर से सच नहीं माना जा सकता । यो तो कोई भी रास्ते चलता आदमी कह देगा-'अजी | मन को वश करने में क्या धरा है ?
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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