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________________ वीतराग परमात्मा का साक्षात्कार २६५ ससार के पदार्थो की बिलकुल परवाह नहीं करता, न उसे किसी स्थान या पदविशेप की इच्छा होती है। इतना आकर्षण है परमात्मा के चरणकगल में । ___ ससार की सर्वश्रेष्ठ वस्तुएँ, जो प्रत्येक सासारिक और यहाँ तक कि कभी-कभी साधक को भी लुभायमान करती हैं, वे ये है-रूपवान सुन्दर वस्तुओ मे सर्वोत्तम सुमेरुपर्वत है, जो सारा का सारा स्वर्णमय है । जिस सोने के लिए सारी दुनिया भागती फिरती है, जिसके लिए दुनियाभर के छलबल, हत्याकाण्ट या पाप किये जाते हैं जो सोना मनुष्य को अभिमानी, उच्च पदाधिकारी, सर्वोच्च प्रतिष्ठासम्पन या सासारिक गुख की वस्तुओ से सम्पन्न बना देता है, उस सोने से ही सारा मेरुपर्वत गढा हुआ है। साथ ही वहां देवोपम सुखो से युक्त रमणीय नन्दनवन है, इसलिए भी सासारिक वस्तुओ मे सर्वोत्कृष्ट सुन्दर पाँचो इन्द्रियो के विपयो से वह परिपूर्ण हे । इसके अलावा इन्द्रलोक या इन्द्रपद ये दोनो भी ससार के आकर्पणीय पादर्या मे अद्वितीय है । इन्द्रलोक वह है, जहाँ सभी प्रकार के इन्द्रियसुखो का भण्डार है, जहाँ एक से एक सुन्दर दिव्यागनाएँ सुन्दरतम मुखभोग, मनोरम्य सुगन्ध, मनोहारी गगीत, नृत्य, वाद्य सब प्रकार की मुख-सुविधाएँ, हाथ जोडे हुए आज्ञाकारी सेवक, विनीत देव-देवीगण, एक से एक चढ़कर रमणीय चित्ताकर्षक भवन और प्रतिष्ठित पद है । इसी प्रकार चन्द्रलोक भी विश्व के मानवो के लिए शान्ति दायक स्थान है । कहते है, च द्रमा से अमृत झरता रहता है । जिस अमृत की खोज मे देव, दानव, मानव सभी मारे-मारे फिरते है, । अमृत पा जाने पर मनुप्य को जन्म, जरा, मृत्यु, व्याधि आदि की चिन्ता नही रहती भूख-प्यास सव बुझ जाती है, जिनकी चिन्ता से मनुष्य रात-दिन अशान्त रहता है । अत चन्द्रलोक पाने के लिए मानव-मन इसलिए लालायित रहता है कि उसके पा जानेपर अमृत के भण्डार चन्द्र का सान्निध्य पा कर मानव के मन को शान्ति मिल जाती है । इसके अतिरिक्त मानव-मन के लिए एक और विशेष आकर्पक और गुदगुदाने वाली वस्तु है-नागेन्द्रलोक । यह भी एक प्रकार का देवलोक है, जहा भवनपति देव हैं उनके भी दिव्यसुखो का क्या ठिकाना । दिव्यभवन, दिव्यरमणियां, दिव्य चित्रविचित्र रत्न, सगीत नृत्य, गीत, वाय, सर्वभोग्य
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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