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________________ ३७५. ] मो भवो । १A om. वि • CEF निब्वेदऊणमप्याण्यं तस्म वयलेल पडिवना मन्वदरकनिवार जिं संजम किरिथं वाहिष्यमाणा वि परोस होवमग्गवेयणाए विमुञ्चमाणा महामोहवाहिणा श्रन्तो परमारोग्गलाभ बिईए' श्रगणे माणा तं परौमहादिवन्द्मदखं ईमि श्रविमुक्का वि * संकिलेमवाहिणा परमगुरुवौ वरागाला सोवणाए संज्ञायविमोरकनिष्कयमई स्थलावाहाय यस मुभूय परम 'पणिहाणभावारोणममेयवौयराया विय न खलु नो सुहिया निच्छएल जभो पाटुं तेसिं मोहतिमिरं श्राविभूयं ममनाएं, नियमो 'श्रमग्गहो, परिणयं संतोसामयं श्रवगया श्रमक्किरिया, १. तुट्टपाया भववलौ, थिरोक्ष्यं झापरयणं, श्रामनं परममिवसुहं । ता एवं परमत्यचिन्ताए थेवा एत्य सुहिया बहवे उल दुखियत्ति । लोयदिट्रॉय उ" बच्चे अन्नारि मे सुहद के लोएहि जन्मजरामरणवत्था विपाणिणां श्राहारादपतिमेत्तेण कूरवाह' सरगोयरगया विथ हरिण्या जन्मादमपती १४ चैव सुहियति बुचन्ति । श्रब्रहा दुस्कियाण य' हमं टिट्टिमगिर्हि व तुह दुस्कियनं कारणमवगच्छामि । माहेहि वा, जद कहणीयं न हो । माहियं रथणवईए । भणियं च जाए। २) हिमौ । ५_AD •য७. ('Eom | Cle 'गुणचन्द पडिबद्धं भयवद, जहा तए CEF TE ( ) सरा ० ॥ व्याया । CE afefa explained war v ९ ('F add रचचबईस अषियं किं भवबतौर वि चकमक "
SR No.010741
Book TitleSamraicca Kaha Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi
PublisherAsiatic Society
Publication Year1926
Total Pages938
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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